75 साल बाद भारतसे पाकिस्तान जाएंगी 90 वर्षीय बुजुर्ग, जाने क्या है वजह

मई के महीने में ही उन्होंने रावलपिंडी में अपने घर को छोड़ा था
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इसके बाद पाकिस्तान के पत्रकार ने रीना वर्मा को सुझाव दिया कि वे सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करें जिससे आम जनता तक उनकी बात पहुंचे। उनकी वीडियो पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय तक पहुंची। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने रीना को 90 दिन का वीजा जारी कर दिया।

दिल्ली: भारत-पाकिस्तान विभाजन में न जाने कितनी ऐसी कहानियां छिपी हैं जिनमें परिवारों से अपने बिछड़ गए। एक ऐसी ही कहानी 90 वर्षीय रीना वर्मा की है। जिनका परिवार सब कुछ छोड़ भारत भाग आया था। पुणे की रहने वाली रीना वर्मा की जिंदगी में अब वो दिन आया है जब उन्हें अपने पिता के बनाए घर को देखने का मौका मिलेगा। वह दुबारा से उन गलियों में घूम सकेंगी जहां उन्होंने अपना बचपन गुजारा था।

जानकारी के मुताबिक रीना के पिता ने अविभाजित भारत के रावलपिंडी की प्रेम गली में अपनी जमा पूंजी से घर बनाया था। इस गली का नाम उनके पिता प्रेमचंद छिब्बर के नाम पर ही प्रेम गली रखा गया था। लेकिन जब विभाजन के वक़्त हिंदू-मुस्लिम के दंगे भड़के तो रीना के परिवार को अपना घर-बार छोड़कर हिमाचल के सोलन के आना पड़ा। हिमाचल के सोलन में रीना अक़्सर अपने परिवार के साथ छुट्टियां बिताने आती थीं। उन्हें यकीन था कि हालात सामान्य होने पर वो अपने परिवार के साथ वापस प्रेम गली में बने अपने मकान में जा पाएंगी। लेकिन किस्मत को यह मंजूर नहीं था। 

बताया गया है कि मई के महीने में ही उन्होंने रावलपिंडी में अपने घर को छोड़ा था। अब मई के महीने में ही उन्हें ये खुशखबरी मिली है कि वे अपने घर को देखने पाकिस्तान जा सकती हैं। 

सोशल मीडिया से मदद मिली

रीना वर्मा के दशकों बाद पाकिस्तान रावलपिंडी में अपने घर को ढूंढने के पूछे एक दिलस्चप कहानी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दो साल पहले कोरोना महामारी के वक़्त जब लोग अपने घरों में कैद थे। तब रीना ने फ़ेसबुक पर रावलपिंडी में अपने घर को लेकर एक कहानी पोस्ट की थी। जिससे पढ़कर रावलपिंडी के सज्जाद भाई आगे आये और उन्होंने रावलपिंडी में उनका घर ढूंढ लिया।

सज्जाद भाई ने उनके घर के बारे में जानकारी मिलने के बाद उसकी फ़ोटो व वीडियो रीना को भेजी। घर के बारे में जानकारी पाते ही रीना के मन मे रावलपिंडी जाकर उनके बचपन के घर को देखने की इच्छा जागी। हरियाणा के गुरुग्राम में रहने वाली उनकी बेटी ने भी मां की इच्छा को देखते हुए वीजा के लिए अप्लाई कर दिया। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उनके वीजा की अर्जी को ठुकरा दिया।

इसके बाद पाकिस्तान के पत्रकार ने रीना वर्मा को सुझाव दिया कि वे सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करें जिससे आम जनता तक उनकी बात पहुंचे। उनकी वीडियो पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय तक पहुंची। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने रीना को 90 दिन का वीजा जारी कर दिया।

पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में अपने घर को देखने का मौका मिलने पर रीना बहुत ख़ुश हैं। वो कहती हैं, "मुझे नहीं पता कि अब हमारे घर में कौन रहता है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि वे मुझे मेरा घर देखने से नहीं रोकेंगे।" साथ ही रीना उन सभी पाकिस्तानी लोगों से मिलने के लिए भी उत्सुक हैं जिन्होंने सोशल मीडिया पर उनकी मदद की।

रीना को अपनी गली के दर्ज़ी शफ़ी आज भी याद हैं। वो बताती हैं कि जब दोनों तरफ दंगे भड़के तो हर जगह मार-काट मची हुई थी। हमारे शहर में दंगे हुए तो उनकी मां को गली के दर्ज़ी शफ़ी ने अपने घर में छिपाया था। रीना कहती हैं कि शफ़ी ने मां को छह घटें तक उनकी दुकान में पनाह दी थी। रीना कहती हैं कि उनके मन में किसी भी समुदाय को लेकर किसी तरह की नफ़रत नहीं है और वो अपने बचपन की यादों से आज भी प्यार करती हैं।

रीना ने बताया कि उनके पिता विभाजन के वक़्त भारत मे एक पीतल का घड़ा और एक मर्तबान लेकर आये थे जिसे रीना ने आज तक संभाल कर रखा है। अब वो इनका इस्तेमाल गमले के रूप में करती हैं।

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