CWG 2022: पैरा पावरलिफ्टिंग में सोना जीतने वाले पहले एथलीट बने सुधीर

पांच साल की उम्र में पोलियो ने बनाया दिव्यांग लेकिन नहीं मानी हार,  फिट रहने के लिए पावरलिफ्टिंग शुरू की

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 पैरा पावरलिफ्टर सुधीर ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की हैवीवेट पैरा पावरलिफ्टिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास । सुधीर ने पहले प्रयास में 208 किग्रा भार उठाया, फिर दूसरे प्रयास में इसे बढ़ाकर 212 किग्रा कर लिया और 134.5 अंक जुटाकर खेलों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के कुल पदक 20 हो गए हैं। 
पैरा पावरलिफ्टर सुधीर ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की हैवीवेट पैरा पावरलिफ्टिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास । सुधीर ने पहले प्रयास में 208 किग्रा भार उठाया, फिर दूसरे प्रयास में इसे बढ़ाकर 212 किग्रा कर लिया और 134.5 अंक जुटाकर खेलों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के कुल पदक 20 हो गए हैं। 

बर्मिंघम- बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले  सुधीर ने कमाल कर दिया।  पैरा-पावरलिफ्टर सुधीर ने भारत के लिए बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में छठा स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने पैरा-पावरलिफ्टिंग (दिव्यांग एथलीट्स की वेटलिफ्टिंग) में 212 किलो वजन उठाने के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। साथ ही सुधीर ने गेम्स रिकॉर्ड भी बनाया।

 

 

गबिकि

पैरा पावरलिफ्टिंग में पहली बार भारत गोल्ड जिताया।  इससे पहले अब तक भारत ने इस श्रेणी में गोल्ड मेडल नहीं जीता था।  सुधीर ने 134.5 अंकों के साथ गेम्स रिकॉर्ड बनाया। सुधीर आज भी रोजाना पांच किलो दूध के साथ ही चने और बादाम खाते हैं। वह अन्य खिलाड़ियों को भी स्टेरॉयड का प्रयोग नहीं करने की सलाह देते हैं। वह अभी से पेरिस पैरा ओलंपिक की तैयारियों में जुटे हैं। इसके साथ ही सुधीर ने अगले साल होने वाले हांग्झू एशियाई पैरा खेलों के लिए भी क्वालिफाई कर लिया है।

 पैरा पावरलिफ्टर सुधीर ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की हैवीवेट पैरा पावरलिफ्टिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास । सुधीर ने पहले प्रयास में 208 किग्रा भार उठाया, फिर दूसरे प्रयास में इसे बढ़ाकर 212 किग्रा कर लिया और 134.5 अंक जुटाकर खेलों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के कुल पदक 20 हो गए हैं। 


सोनीपत के गांव लाठ में किसान के बेटे  सुधीर को पांच साल की  उम्र में पैर में परेशानी के चलते वह दिव्यांग हो गए। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। साल 2013 में शरीर को फिट रखने के लिए उन्होंने पावरलिफ्टिंग शुरू की थी।  सुधीर लगातार सात बार के नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं। पैरा खिलाड़ी वीरेंद्र धनखड़ से प्रभावित  होकर सुधीर ने पैरा पावरलिफ्टिंग शुरू की थी। साल 2021 और 2022 में सुधीर ने स्ट्रांग मैन ऑफ इंडिया का खिताब जीता। दो साल की मेहनत से ही वह नेशनल तक पहुंचे और राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया। यहीं से सुधीर के मन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने की उम्मीद जगी। सुधीर पिछले लगातार सात साल से नेशनल्स में पावरलिफ्टिंग में स्वर्ण जीतते आ रहे हैं।

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