गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी के नेताओं के चेहरे पर नहीं कोई शिकन

नेताओं ने कहा, आजाद ड्राइंग रूम पॉलिटिक्स करते हैं, उनके जाने से पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला
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पंजाब की पूर्व प्रभारी आशा कुमारी के मुताबिक 50 साल कांग्रेस में मौज किए और पद या कुछ नहीं मिला तो गुलाम नबी 'आजाद' हो गए। गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में सदन के नेता प्रतिपक्ष। आजाद को प्रधानमंत्री से मिलवाया।आप लाइब्रेरी से संपर्क कर सकते हैं। पूर्व महासचिव के इस खुलासे को पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने और मजबूत बनाया।

नई दिल्ली- राहुल गांधी की कोटरी के एक नेता ने कहा कि गुलाम नबी को अब गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। वह ड्राइंग रूम की राजनीति करते थे। उनके चले जाने से कांग्रेस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बाद से ही आजाद में मोदी और भाजपा के प्रति सॉफ्ट कार्नर देखा जा रहा था। गुलाम नबी आजाद को पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलवाया था। पूर्व महासचिव के इस खुलासे को पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने और मजबूत बनाया।कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड के कुछ नेताओं का अनुमान है कि जल्द ही एक सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री समेत एक-दो नेता भी कांग्रेस छोड़ सकते हैं। हालांकि सूत्र का कहना है कि उन नेताओं के कांग्रेस छोड़ने का समय भाजपा के रणनीतिकार तय करेंगे। कांग्रेस के एक पूर्व महासचिव और पूर्व राज्यसभा सदस्य ने एक राज की बात बताई।

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पंजाब की पूर्व प्रभारी आशा कुमारी के मुताबिक 50 साल कांग्रेस में मौज किए और पद या कुछ नहीं मिला तो गुलाम नबी 'आजाद' हो गए। कांग्रेस के पूर्व महासचिव और पूर्व केन्द्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी के नेताओं के चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं है। गुलाम नबी आजाद को पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलवाया था।वरिष्ठ नेता के अनुसार गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई के दौरान भी प्रधानमंत्री ने अनोखा व्यवहार दिखाया था। पूर्व महासचिव का कहना है कि अरुण जेटली तब केन्द्रीय वित्तमंत्री थे। गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में सदन के नेता प्रतिपक्ष। आजाद को प्रधानमंत्री से मिलवाया।आप लाइब्रेरी से संपर्क कर सकते हैं। पूर्व महासचिव के इस खुलासे को पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने और मजबूत बनाया।  प्रधानमंत्री मोदी और गुलाम नबी में संवाद होने लगा। वह आजाद को कभी कभार बुलाने भी लगे।  वह तो यहां तक कहते हैं कि आजाद भाजपा के नेताओं को पर्चियां भेजते थे और उसका जवाब आता था।

वरिष्ठ नेता के अनुसार गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई के दौरान भी प्रधानमंत्री ने अनोखा व्यवहार दिखाया था। पूर्व महासचिव का कहना है कि अरुण जेटली तब केन्द्रीय वित्तमंत्री थे। गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में सदन के नेता प्रतिपक्ष। आजाद को प्रधानमंत्री से मिलवाया।आप लाइब्रेरी से संपर्क कर सकते हैं। पूर्व महासचिव के इस खुलासे को पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने और मजबूत बनाया।  प्रधानमंत्री मोदी और गुलाम नबी में संवाद होने लगा। वह आजाद को कभी कभार बुलाने भी लगे।  वह तो यहां तक कहते हैं कि आजाद भाजपा के नेताओं को पर्चियां भेजते थे और उसका जवाब आता था।


सूत्र का कहना है कि अभी तक जो आजाद साहब कांग्रेस के दमदार नेता के तौर पर देखे जाते थे, आने वाले समय में वह दूसरे राजनीतिक दल की कठपुतली के तौर पर जाने जाएंगे।ममता बनर्जी और शरद पवार को छोड़कर कोई सफल नहीं हुआ। शरद पवार को भी आंशिक सफलता ही मिली। अब आजाद साहब अपना भविष्य भी खुद ही समझ लें। कांग्रेस पार्टी के नेता और राजस्थान सरकार में एक मंत्री का कहना है कि वह 1983 से कांग्रेस में हैं।उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के अनुसार 'परसेप्शन' प्रभावित होगा। वह कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद कोई जन नेता नहीं रहे हैं। वह एसी के बंद कमरे की राजनीति करते थे। पंजाब की प्रभारी आशा कुमारी कहती हैं कि अभी कैसे बता दें, कितना असर पड़ेगा? हो सकता है पड़े भी न?  तब से न जाने कितने लोगों ने कांग्रेस छोड़ी। कई लोगों ने पार्टी बनाई।  


 

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