महाराष्ट्र में दही हांडी को खेल का दर्जा: गोविंदाओं को नौकरियों में मिलेगा आरक्षण, मृत होने पर मिलेंगे 10 लाख

गोकुलाष्टमी या जन्माष्टमी पर नहीं बल्कि साल के 365 दिन एडवेंचर स्पोर्ट के तौर पर खेला  जाएगा 
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 खो-खो और कबड्डी की तरह ही अब महाराष्ट्र में दही हांडी को एक खेल का दर्जा दिया गया है। इसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का एक प्रकार माना जाएगा। गोविंदाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ, सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण भी दिया जाएगा। 
खो-खो और कबड्डी की तरह ही अब महाराष्ट्र में दही हांडी को एक खेल का दर्जा दिया गया है। इसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का एक प्रकार माना जाएगा। गोविंदाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ, सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण भी दिया जाएगा। 

मुंबई- महाराष्ट्र सरकार ने इस संदर्भ में एक सरकारी आदेश भी जारी किया है।  सीएम शिंदे ने दही हांडी उत्सव के दिन सार्वजनिक छुट्टी घोषित करने का ऐलान किया था। खास यह है कि दही-हांडी अब सिर्फ गोकुलाष्टमी या जन्माष्टमी के वक्त ही नहीं बल्कि साल के 365 दिन एक एडवेंचर स्पोर्ट के तौर पर खेला जा सकेगा। वहीं ,अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को विधानसभा में बताया कि दही हांडी में शामिल होने वाले गोविंदाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ, सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण भी दिया जाएगा। जल्दी ही प्रो कबड्डी के नियमों के आधार पर राज्य में दही हांडी प्रतिस्पर्द्धा भी शुरू की जाएगी।


इस उत्सव को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मनाया जाता है। लड़कों का ग्रुप मैदान, सड़क या कम्पाउंड में इकट्ठा होता है और वे पिरामिड बनाकर जमीन से 20-30 फुट ऊंचाई पर लटकी मिट्टी की मटकी को तोड़ते है। महाराष्ट्र और गुजरात में माखन हांडी की प्रथा काफी प्रसिद्ध है, जहां मटकी को दही, घी, बादाम और सूखे मेवे से भरकर लटकाया जाता है।

 खो-खो और कबड्डी की तरह ही अब महाराष्ट्र में दही हांडी को एक खेल का दर्जा दिया गया है। इसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का एक प्रकार माना जाएगा। गोविंदाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ, सरकारी नौकरियों में 5 फीसदी आरक्षण भी दिया जाएगा। 

मायानगरी में हर साल होने वाली दही हांडी उत्सव की धूम पूरी दुनिया में हैं। सिर्फ देश ही नहीं विदेश से भी लोग यहां दही हांडी उत्सव देखने आते हैं। यह माना जाता है कि नवी मुंबई के पास घणसोली गांव में यह परंपरा पिछले 104 साल से चली आ रही है। यहां सबसे पहले 1907 में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दही हांडी शुरू हुई थी। हांडी फोड़ने पर कुछ मंडल करोड़ों का इनाम भी देते हैं।दही हांडी उत्सव के दौरान गोविंदाओं का ग्रुप मैदान, सड़क या कम्पाउंड में इकट्ठा होता है और पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर लटकी मिट्टी की मटकी को तोड़ते है।

 इस उत्सव को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मनाया जाता है। लड़कों का ग्रुप मैदान, सड़क या कम्पाउंड में इकट्ठा होता है और वे पिरामिड बनाकर जमीन से 20-30 फुट ऊंचाई पर लटकी मिट्टी की मटकी को तोड़ते है। महाराष्ट्र और गुजरात में माखन हांडी की प्रथा काफी प्रसिद्ध है, जहां मटकी को दही, घी, बादाम और सूखे मेवे से भरकर लटकाया जाता है।

दही हांडी खेलते वक्त अगर दुर्घटना हो जाती है और ऐसे में किसी गोविंदा की मौत हो जाती है तो संबंधित गोविंदा के परिवार वालों को 10 लाख रुपए की रकम मदद के तौर पर दी जाएगी।   साढ़े सात लाख रुपए की रकम राज्य सरकार की ओर से मदद के तौर पर दी जाएगी। ऐसी किसी दुर्घटना में कोई गोविंद अगर एक हाथ या एक पैर या शरीर का कोई अंग गंवा बैठता है तो ऐसी स्थिति में उसे 5 लाख रुपए की रकम मदद के तौर पर दी जाएगी। गंभीर रूप से जख्मी होने पर 7 लाख 50 हजार रुपए की रकम मदद के तौर पर दी जाएगी। गोविंदाओं को अब बीमा संरक्षण भी दिया जाएगा।

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