एडवांस स्टडी शिमला में 16 अगस्त तक एंट्री फ्री: देख सकेंगे पुराना इतिहास

आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रशासन का फैसला
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एडवांस स्टडी शिमला में 16 अगस्त तक एंट्री फ्री: देख सकेंगे पुराना इतिहास 
वायसरीगल लॉज  के आलीशान भवन का निर्माण 1880 में शुरू हुआ। इसे वास्तुकार हेनरी इरविन ने डिजाइन किया था। वायसरॉय लार्ड डफरिन के शासनकाल में एलिजाबेथन शैली में इसका निर्माण किया गया।

 

शिमला-  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी शिमला का दीदार पर्यटक आज से फ्री में कर सकेंगे। एडवांस स्टडी प्रशासन ने फैसला किया है कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर इस तरह की सुविधा पर्यटकों को दी जाएगी। सात अगस्त से लेकर 16 अगस्त तक एडवांस स्टडी में घूमने और यहां के इतिहास को देखने के लिए किसी भी तरह की फीस नहीं देनी पड़ेगी। आम दिनों में एडवांस स्टडी में घूमने आने वाले और यहां का इतिहास देखने के लिए 65 रुपए से लेकर 150 रुपए तक एंट्री फीस देनी पड़ती थी।

लंबी बातचीत के बाद भुट्टो इस बात के लिए सहमत हुए कि भारत-पाकिस्तान संबंधों को केवल द्विपक्षीय बातचीत से तय किया जाएगा।इन में कुछ प्रमुख विषय थे, युद्ध बंदियों की अदला-बदली, पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को मान्यता का प्रश्न, भारत और पाकिस्तान के राजनीतिक संबंधों को सामान्य बनाना, व्यापार फिर से शुरू करना और कश्मीर में नियंत्रण रेखा स्थापित करना जैसे मुद्दे थे। 

एडवांस स्टडी शिमला में 16 अगस्त तक एंट्री फ्री: देख सकेंगे पुराना इतिहास 

अंग्रेजों के राज में उनकी ग्रीष्मकालीन राजधानी रहे शिमला में ही स्वतंत्र भारत का खाका तैयार किया गया था। इसे शिमला स्थित ऐतिहासिक भवन भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में बनाया गया था। उस समय इसे वायसरीगल लॉज कहते थे। यह ब्रिटिशकालीन भारत के शासक वायसरॉय का निवास स्थान था और अंग्रेज साल के लगभग आठ महीने यहीं से भारत की हुकूमत चलाते थे। भारत-पाक विभाजन की रूपरेखा भी इसी ऐतिहासिक इमारत में तैयार की गई थी।  

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यहां आने वाले पर्यटक फ्री में ही एडवांस स्टडी का दीदार कर पाएंगे।  आजादी के अमृत महोत्सव को देखते हुए पर्यटकों से 7 अगस्त से लेकर 16 अगस्त तक किसी तरह की एंट्री फीस नहीं ली जाएगी। 2 जुलाई 1972 एडवांस स्टडी में तत्कालीन देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला में समझौता हुआ था। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में अंतिम वायसरॉय लार्ड माउंटबेटन और पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीच भारत पाक विभाजन के ड्राफ्ट पर चर्चा हुई थी। इस बैठक में प्रयोग किया गया टेबल भवन में सुरक्षित रखा गया है, जो दो देशों के विभाजन की चर्चा का गवाह बना। 


 

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