दूरसंचार विभाग ने ट्राई से पूछा: इंटरनेट कॉलिंग पर कानून बना सकते हैं क्या
कहा- इंटरनेट कॉलिंग व मैसेंजिंग एप से भी लाइसेंस फीस वसूलनी चाहिए, जैसे टेलीकॉम कंपनियों से ली जाती है

नई दिल्ली- भारत में काम कर रही टेलीकॉम कंपनियां ‘समान सुविधाओं के लिए समान नियम’ बनाने के लिए सरकार को लंबे समय से कह रही हैं। आज जब लगभग सभी लोग व्हाट्सएप जैसे कई मोबाइल एप उपयोग कर रहे हैं, दूरसंचार विभाग ने ट्राई से पूछा है कि क्या इन एप से होने वाली से इंटरनेट कॉलिंग व मैसेजिंग को कानूनी फ्रेमवर्क में लाया जा सकता है? उनका कहना है कि इंटरनेट कॉलिंग व मैसेंजिंग एप से भी लाइसेंस फीस वसूलनी चाहिए, जैसे टेलीकॉम कंपनियों से ली जाती है।
2008 में ट्राई ने सिफारिश की थी कि आईएसपी को इंटरनेट आधारित टेलीफोन की अनुमति मिले। लेकिन अब विभाग ने टेलीकॉम सेक्टर में ओवर द टॉप प्लेयर की तरह काम कर रहे मोबाइल एप्स और उनकी इंटरनेट कॉलिंग व मैसेजिंग सुविधाओं की समीक्षा करने को कहा है। 2016-17 में टेलीकॉम कंपनियों ने फिर इंटरनेट आधारित टेलीफोन का मुद्दा उठाया। व्हाट्सएप, सिग्नल, गूगल मीट, फेसबुक मैसेंजर, टेलीग्राम जैसे कई मोबाइल एप से इंटरनेट कॉलिंग व मैसेजिंग हो रही हैं। विभाग ने इंटरनेट आधारित टेलीफोन पर 2008 में जारी सिफारिशें भी भारत के दूरसंचार नियामक आयोग (ट्राई) को पिछले सप्ताह लौटाईं और समीक्षा करने को कहा है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इंटरनेट टेलीफोनी पर ट्राई की पूर्व में जारी सिफारिशें दूरसंचार विभाग ने स्वीकार नहीं की थीं ।
भारत में काम कर रही टेलीकॉम कंपनियां ‘समान सुविधाओं के लिए समान नियम’ बनाने के लिए सरकार को लंबे समय से कह रही हैं। लेकिन सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क से राहत दी, ताकि फोन कॉलिंग की दरें कम हों। उन्हें कानूनी इंटरसेप्शन के नियम मानने, सेवाएं सुधारने, आदि के लिए भी कहा जाए, जैसे टेलीकॉम कंपनियों व इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को कहा जाता है। उनका कहना है कि इंटरनेट कॉलिंग व मैसेंजिंग एप से भी लाइसेंस फीस वसूलनी चाहिए, जैसे टेलीकॉम कंपनियों से ली जाती है।