‘हमारा देश धनवान है पर जनता गरीब है, आज भुखमरी, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त हैं’-नितिन गडकरी

नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे समाज मे दो विशेषरूप से वर्गों का अंतर बहुत ज्यादा है।
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Nitin gadkari
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में गरीब और अमीर के बीच गहरी खाई है, जिसे पाटने और समाज के बीच सामाजिक और आर्थिक समानता पैदा करना जरूरी है। समाज के इन दो हिस्सों के बीच खाई बढ़ने से आर्थिक विषमता और सामाजिक असमानता की तरह है।

दिल्ली।  देश में बेरोजगारी, भूख और महंगाई के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हम मातृभूमि को सुखी, समृद्ध और शक्तिशाली बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि देश अमीर हो गया है लेकिन लोग गरीब हैं, इसलिए देश के विकास के लिए किस रास्ते पर जाना है, इस पर गंभीरता से विचार करना होगा.

एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "हमारा देश अमीर है लेकिन लोग गरीब हैं, आज भी भारत के लोग भूख, गरीबी, मुद्रास्फीति, बेरोजगारी से पीड़ित हैं। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। बावजूद यह देश की जनता भूख, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, जातिवाद और अस्पृश्यता का सामना कर रही है, जो देश की प्रगति के लिए ठीक नहीं है।

गडकरी ने आगे कहा कि देश में गरीब और अमीर के बीच एक गहरी खाई है, जिसे पाटने की जरूरत है और समाज में सामाजिक और आर्थिक समानता पैदा की जानी चाहिए. समाज के इन दो वर्गों के बीच बढ़ती खाई आर्थिक असमानताओं और सामाजिक असमानताओं को जन्म देती है।

उन्होंने कहा, "हमारे समाज में दो विशेष वर्गों के बीच का अंतर बहुत बड़ा है। जिससे सामाजिक असमानता बढ़ी है तो आर्थिक असमानता भी बढ़ी है। हमारे देश में 124 जिले हैं, जो सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं। वहां न स्कूल हैं, न अस्पताल, न युवाओं के लिए रोजगार और न गांव जाने का रास्ता, किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'हमारे देश में हम ज्यादातर शहरी इलाकों में काम करते हैं, इसलिए विकास ज्यादा हुआ है, लेकिन 1947 में 90 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती थी. अब 25-30 फीसदी पलायन हो चुका है. ये लोग जो गांव छोड़कर बड़े शहरों दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई में शिफ्ट हो गए हैं। गांव में अच्छी शिक्षा, रोजगार नहीं होने से मजबूरी से बाहर आए हैं, इस वजह से लोग गांव छोड़कर शहरों में आ गए हैं, जिससे शहरों में भी दिक्कतें पैदा हो गई हैं. इसलिए भारत के विकास के लिए हमें गंभीरता से सोचना होगा कि हम किस रास्ते पर जाएं?" 

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