Gujarat Riots 2002 - सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अतंरिम जमानत दी
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नई दिल्ली - साल 2002 में हुए गुजरात दंगों(Gujarat 2002 Riots) का मामला अभी तक शांत नहीं हुआ है. इन दिनों दंगों को लेकर फिर से सुर्खियों का बाजार गर्म है. हाल ही में गुजरात दंगों का बिलकिस बानो गैंगरेप का मामला फिर से उठा.
वजह थी बिलकिस बानो गैंगरेप(Bilkis Bano Gangrape) मामले में सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा 15 अगस्त को विशेष छूट देते नुए रिहा करना. जिसके बाद गुजरात दंगों और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं व मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने फिर से सवाल किए हैं.
आज, शुक्रवार, 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामले में आपराधिक साजिश व धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़(Teesta Setalvad) को अतंरिम जमानत दी है. चीफ जस्टिस जस्टिस यूयू ललित(CJI UU lalit) की अगुवाई वाली खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया है.
इस बेंच में जस्टिस यूयू ललित के अलावा जस्टिस एस रविंद्र भट्ट(Justice S Ravindra Bhatt) व सुधांशु धुलिया(Sudhanshu Dhulia) भी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को ट्रायल कोर्ट(Trail Court) में अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए भी कहा है. इसके साथ ही उन्हें जांच एजेंसियों के साथ मामले में सहयोग करने के लिए भी कहा है.
तीस्ता सीतलवाड़ की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील व पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक दिन पहले यानी 1 सितंबर को कोर्ट में कहा था कि उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है. तीस्ता ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि SIT(Special Investigation Team) ने इस मामले में उन्हें अभियुक्त नहीं कहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि 2002 दंगों में पीड़ितों की मदद करने के लिए गुजरात सरकार उन्हें निशाना बना रही है.
गुरुवार, 1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था कि 2 महीने बाद उनकी कस्टडी की क्या आवश्यकता है? तीस्ता सीतलवाड़ को साल 2002 के गुजरात दंगों में साजिश रचने के आरोप में जून महीने में गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा गया था कि 2 महीनों में तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ किस तरह के सबूत इकठ्ठा किए गए हैं.