15 जिलों के भाजपा जिलाध्यक्षों पर लटकी तलवार, पार्टी बनवा रही परफॉर्मेंस रिपोर्ट, जानिए क्या है बदलाव की वजह
मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू , मालवा-निमाड़ और विंध्य में हो सकती है सर्जरी

भोपाल- नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में कई जिलाध्यक्षों की परफॉर्मेंस पर सवाल उठाए गए हैं। वहीं, मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। जिन जिलों से जिलाध्यक्षों की ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं, उनको जल्दी बदला जा सकता है। जिलाध्यक्षों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट बनवाई जा रही है। बीजेपी भी पांचवीं बार सत्ता में आने के लिए जुट गई है। इसके आधार पर BJP, प्रदेश के 15 जिलों में बदलाव की तैयारी में है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल भी अगले साल फरवरी में खत्म हो रहा है। 2017 में जिलाध्यक्षों का कार्यकाल खत्म होने पर हटाने की बजाय 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष को लेकर भी चर्चाएं तेज हो चली हैं। कई जिलाध्यक्षों पर पार्टी के कैंडिडेट का विरोध करने के भी आरोप लगे हैं।2019 के नवंबर में संगठनात्मक चुनाव के बाद 33 नए जिलाध्यक्षों की पहली सूची 5 दिसम्बर 2019 को जारी हुई थी।
रिपोर्ट में- निकाय चुनाव में जहां पार्टी के प्रत्याशियों की हार हुई या क्रॉस वोटिंग हुई, वहां भी अध्यक्षों को बदला जा सकता है। इस आधार पर रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। संगठन ने कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों के जरिए जिलाध्यक्षों की जानकारी मंगवाई है। ऐसे जिलाध्यक्षों की वर्किंग पर नजर रखी जा रही है। विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक जिलाध्यक्ष अपने क्षेत्र के टिकट के दावेदारों का निष्कासन करा रहे हैं। भाजपा संगठन में व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति एक ही पद पर दो कार्यकाल से अधिक समय तक नहीं रह सकता, इसलिए तय किया गया है कि कई जिलों के जिलाध्यक्ष जो लगातार दो बार से अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, संगठन उन्हें पद से मुक्त कर नई जिम्मेदारी सौंप सकता है।
जिन्होंने हाल में हुए चुनाव में अपनों को लड़ाया, पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा दिया। जिनमें राजनीतिक अनुभव की कमी है, इसका असर कामकाज पर भी पड़ा है। जिनका इम्पैक्ट पार्टी के फैसलों के मुताबिक नहीं आ रहा, उन्हें भी हटाया जाएगा। ऐसे जिलाध्यक्ष जो विधायकों, सांसदों समेत जनप्रतिनिधियों से समन्वय नहीं बना पाए। जो लगातार तीन बार तक जिलाध्यक्ष रह चुके हैं, उन्हें भी हटाया जा सकता है। प्रदेश भर में ज्यादातर जिलाध्यक्षों का कार्यकाल इस साल नवंबर में खत्म हो रहा है। इसके बाद 24 जिलाध्यक्षों की सूची अलग-अलग जारी हुई।