दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से हुए बाहर, कहा - मल्लिकार्जुन खड़गे मेरे नेता

शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच मुकाबला होगा
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अब दिग्विजय सिंह और मल्लिकार्जुन खड़गे की मुलाकात ने साफ कर दिया है कि वह रेस से पीछे हट चुके हैं. इसी बीच राजस्थान में भी बड़े बदलाव होने की उम्मीद है. अध्यक्ष पद के बाद कभी भी विधायक दल की मीटिंग हो सकती है और उसमें नए सीएम का प्रस्ताव पारित हो सकता है.

नई दिल्ली - कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस दिलचस्प होती जा रही है. शुक्रवार, 30 सितंबर को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि दिग्विजय सिंह(Digvijaya Singh) नामांकन दाखिल करेंगे.

लेकिन ऐसे में आज सुबह उन्होंने बताया - मल्लिकार्जुन खड़गे(Mallikarjun Kharge)मेरे नेता हैं, मैं पर्चा नहीं भरूंगा. बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन दाखिल करने की चर्चा पहले से ही है. वीरवार को ही सियासी गलियारों में उनके अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने की अटकलें शुरू हो गई थीं. लेकिन दिग्विजय सिंह के समर्थन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे की उम्मीदवारी मजबूत हो गई है. 

इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) को कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था. लेकिन 25 सितंबर को हुई सियासी उठापटक के बाद कांग्रेस आलाकमान उनसे काफी नाराज है. वीरवार को अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में उनके आवास पर मुलाकात की.

जिसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया -  राजस्थान का मुख्यमंत्री होने के नाते ये मेरे नैतिक जिम्मेदारी थी कि एक लाइन का प्रस्ताव पास हो, लेकिन मैं ऐसा करने में असफल रहा. इसके लिए मैंने सोनिया गांधी जी से Sorry feel किया है. देश में जो माहौल बना है, उसे देखते हुए मैंने फैसला लिया है कि मैं अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लडूंगा.

तमाम सियासी घटनाक्रम से अब मल्लिकार्जुन खड़गे का दावा मजबूत हो गया है. हालांकि उन्होंने अभी तक नामांकन दाखिल नहीं किया है. लेकिन कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि वे आज नामांकन दाखिल करेंगे. ऐसे में शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच मुकाबला होगा.

लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक शशि थरूर मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने काफी कमजोर साबित होंगे. क्योंकि शशि थरूर को बागी G-23 का नेता माना जाता है, जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के वफादार रहे हैं. अशोक गहलोत के बागी तेवरों के बाद खड़गे ही गांधी परिवार और पार्टी की पसंद बनकर उभरे हैं. 

बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे दक्षिण भारत के मजबूत दलित नेता हैं और फिलहाल वो राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं. इसके अलावा खड़गे विवादों से भी परे रहे हैं, जबकि दिग्विजय सिंह अपने बयानों के चलते हमेशा मीडिया की बहसों में बने रहे हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम अचानक से अध्यक्ष पद की रेस में सामने आया है. लेकिन कांग्रेस में चल रहे तमाम घटनाक्रमों से साफ है कि वही इस रेस के विजेता हो सकते हैं.

वहीं गुरुवार को कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा था कि शुक्रवार शाम तक अध्यक्ष पद को लेकर फैसला हो जाएगा. उनके बयान से साफ था कि आखिरी दौर तक कुछ भी बदल सकता है. खुद दिग्विजय सिंह ने ही नामांकन पत्र लेते हुए भी कहा था कि कल तक तय हो जाएगा कि मेरा नामांकन होगा या नहीं.

अब दिग्विजय सिंह और मल्लिकार्जुन खड़गे की मुलाकात ने साफ कर दिया है कि वह रेस से पीछे हट चुके हैं. इसी बीच राजस्थान में भी बड़े बदलाव होने की उम्मीद है. अध्यक्ष पद के बाद कभी भी विधायक दल की मीटिंग हो सकती है और उसमें नए सीएम का प्रस्ताव पारित हो सकता है.

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