बैंकों में अग्निवीर मॉडल पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा - मित्रों को फायदा के लिए किया जा रहा है

हम हमेशा आपके अधिकारों और हक़ की लड़ाई लड़ते रहेंगे - राहुल गांधी
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ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी डी.एन त्रिवेदी ने कहा कि स्टेट बैंक ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेज द्वारा जितने भी कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे, वे सभी नियुक्तियां कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होंगी. कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को SBI के स्थायी कर्मचारियों को मिलने वाले सभी लाभ नहीं मिल पाएंगे.

नई दिल्ली - देश के सबसे बड़े बैंक SBI(State Bank of India) में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर स्टाफ की भर्ती को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर सरकार पर निजीकरण का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा," सेना के बाद अब बैंकों में भी अग्निवीर मॉडल"

उन्होंने कहा, "कुछ समय पहले, जब हम इस तानशाह सरकार द्वारा लायी गई 'अग्निपथ' योजना(Agni path Yojana) का विरोध कर रहे थे, तब हमने पूरे देश को बताया था कि इनकी नीयत साफ़ नहीं है, ये युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. अब देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक, SBI भी अग्निवीरों की तर्ज पर बैंक में कर्मचारियों को रखेगा, अनुबंध के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को SBI के स्थायी कर्मियों को मिलने वाले सभी लाभ नहीं मिलेंगे.

उन्होंने कहा कि ये शुरुआत है. नौकरी का ये ‘ठेका मॉडल’ बाक़ी बैंकों व संस्थाओं में भी लागू होने का अंदेशा है. लाखों युवा दिन-रात पढ़ाई करके बैंक की परीक्षा निकालने की तैयारी करते हैं, ये सोचते हैं कि एक बार बैंक में सरकारी नौकरी लग जाएगी तो जीवन भर आर्थिक रूप से सशक्त रहेंगे, अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकेंगे. लेकिन आर्थिक रूप से सुरक्षित और सशक्त भारत का ख़्याल तानाशाह को कभी रास ही नहीं आया.

राहुल गांधी ने कहा, "माता-पिता न जाने कितने संघर्ष करके, खुद पर कटौती करके अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, महंगी शिक्षा का बोझ उठाते हैं ताकि उनके बच्चे अफसर बन सकें, लेकिन आज की ये निष्ठुर सरकार मां-बाप के साथ-साथ युवाओं के सपनों को भी चकनाचूर करने पर आमादा है. 

उन्होंने कहा, "मैं फिर कह रहा हूं, ये सब 'मित्रों' के फायदे के लिए किया जा रहा है, ये सरकार पूरे देश को निजीकरण की तरफ़ धकेल रही है. हम हमेशा आपके अधिकारों और हक़ की लड़ाई लड़ते रहेंगे. अभी भी वक़्त है, अपनी आंखें खोलिए और अपने ख़िलाफ़ हो रही इन साज़िशों के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाइए."

क्या है मामला

दरअसल देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक भारतीय स्टेट बैंक अपने खर्च को कम करने के लिए मानव संसाधन संबंधी मुद्दों के लिए एक अलग कंपनी शुरू करने जा रहा है. स्टेट बैंक की संचालन और सहायता सहायक कंपनी को हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से सैद्धांतिक मंजूरी मिली है. शुरुआत में कंपनी ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं में कर्मचारियों का प्रबंधन करेगी.

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बैंकिंग सेक्टर के जानकारों के मुताबिक, बैंक यह कदम उठाकर अपने कॉस्ट-टू-इनकम अनुपात(Cost to Income Ratio) को कम करना चाहता है, जो कि इंडस्ट्री के मानकों के हिसाब से काफी ज्यादा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि SBI ने देशभर में बैंक शाखाओं का एक बहुत बड़ा नेटवर्क स्थापित किया है. चालू वित्त वर्ष(Current Financial Year) 2022-23 की पहली तिमाही में, SBI के कुल ऑपरेटिंग एक्सपेंस में कमर्चारियों की सैलरी का हिस्सा लगभग 45.7 प्रतिशत था और सेवानिवृत्ति लाभ और अन्य प्रावधानों का हिस्सा 12.4 प्रतिशत था.

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन(All India Bank Officer Association) के जॉइंट सेक्रेटरी डी.एन त्रिवेदी ने कहा कि स्टेट बैंक ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेज द्वारा जितने भी कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे, वे सभी नियुक्तियां कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होंगी. कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को SBI के स्थायी कर्मचारियों को मिलने वाले सभी लाभ नहीं मिल पाएंगे.

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इस नई व्यवस्था का असर पूरे बैंकिंग उद्योग पर दिखेगा. SBI ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेज(SBI Operation Support Services) भारतीय बैंकिंग उद्योग में अपनी तरह की पहली सहायक कंपनी होगी. हालांकि अब अन्य बैंक भी इस दिशा में कदम उठा सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक कई बैंकों ने पूर्व में RBI(Reserve Bank of India) को ऐसी सहायक कंपनी स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन तब आरबीआई ने इसकी अनुमति नहीं दी थी.

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