सरकार चाहती है कि हर केस में हम उनके पक्ष में फैसला सुनाए - चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया

भारत मे सत्ताधारी पार्टी चाहती है कि हर न्यायिक कार्रवाई में न्यायालय उनके समर्थन में फैसला सुनाए
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CJI
हमारी स्वतंत्रता को 72 साल हो गए हैं तो कुछ अफसोस के साथ मुझे ये जोड़ना चाहिए कि हमने अभी तक प्रत्येक सविंधानिक संस्थान को सविंधान द्वारा सौंपी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को पूरी तरह से सराहना करना नहीं सिखा है.

नई दिल्ली - न्यायालय के ऊपर किस तरफ से सत्ता का दबाव होता है इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस(Chief Justice of India) ने चौकानें वाला खुलासा किया है. अमेरिका(America) में केलिफोर्निया(California) राज्य के सेन फ्रैंसिस्को(Sen Francisco) में एसोसिएशन ऑफ इंडो-अमेरिकन(Association of Indo-American) की ओर से आयोजित एक सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस नुथलापति वेंकट रमण(Justice Nuthlapati Ramana) ने लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका को लेकर अपना संबोधन दिया. सीजेआई ने कहा कि भारत मे सत्ताधारी पार्टी चाहती है

कि हर न्यायिक कार्रवाई में न्यायालय उनके समर्थन में फैसला सुनाए व विपक्षी दल अपने पोलिटिकल एजेंडे(Political Agenda) को आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं. लेकिन न्यायपालिका सिर्फ और सिर्फ भारतीय सविंधान के प्रति जवाबदेह है.

अभी भी सविंधानिक संस्थानों की भूमिका और जिम्मेदारी को नहीं समझ पाए हैं

वहीं चीफ़ जस्टिस ने इस बात पर भी निराशा जाहिर की कि आजादी के 75 साल के बाद भी भारतीय नागरिक सविंधान द्वारा प्रत्येक संस्थान को सौंपी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक नहीं हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम 75वें बर्ष का जश्न मना रहे हैं और जब हमारी स्वतंत्रता को 72 साल हो गए हैं तो कुछ अफसोस के साथ मुझे ये जोड़ना चाहिए कि हमने अभी तक प्रत्येक सविंधानिक संस्थान को सविंधान द्वारा सौंपी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को पूरी तरह से सराहना करना नहीं सिखा है.

गांव के लोग ज्यादा एक्टिव

चीफ जस्टिस एनवी रमण ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के लोगों ने अब तक उल्लेखनीय काम किया है. हमारे पास लोगों की सामूहिक बुद्धिमत्ता पर शक करने का कोई कारण नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि भारत के ग्रामीण मतदाता अपने शहरी, पढ़े-लिखे और सम्पन्न लोगों की तुलना में इस कार्य को करने में अधिक एक्टिव हैं. सीजेआई ने बताया कि भारत और सयुंक्त राज्य अमेरिका दोनों ही अपनी डाइवर्सिटी के लिए जाने जाते हैं. जिन्हें दुनिया में हर जगह सम्मानित और पोषित होने की जरूरत है.

विविध पृष्ठभूमि से योग्य प्रतिभाओं को सम्मानित करना भी आवश्यक 

चीफ जस्टिस ने कहा कि कहा कि व्यवस्था में समाज के सभी वर्गों के विश्वास को बनाए रखने के लिए विविध पृष्ठभूमि से योग्य प्रतिभाओं को सम्मानित करना भी आवश्यक है. CJI ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों ने मामूली शुरुआत से आधुनिक अमेरिका के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने न केवल अपनी पहचान बल्कि इस देश का चेहरा भी बदल दिया है.
 

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