महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई सोमवार तक टाली, सिब्बल की अपील- मामला संविधान पीठ न भेजें

अदालत फैसला सुनाएगी की क्या इस मामले को 5 जजों की बेंच को सौंपना चाहिए या नहीं? 

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अदालत फैसला सुनाएगी की क्या इस मामले को 5 जजों की बेंच को सौंपना चाहिए या नहीं?
EC का तर्क- पार्टी पर निर्णय लेना जरूरी,उद्धव गुट का हलफनामा- शिंदे और बागी विधायक अशुद्ध हाथ लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, उद्धव गुट के वकील सिब्बल ने CJI से अपील की- मामला संविधान पीठ को मत भेजें। हम (मैं और सिंघवी) 2 घंटे में अपनी दलील खत्म कर सकते हैं। 

नई दिल्ली- महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी है। अदालत ने कहा- सोमवार को अदालत फैसला सुनाएगी की क्या इस मामले को 5 जजों की बेंच को सौंपना चाहिए या नहीं? CJI ने चुनाव आयोग के वकील से कहा- दोनों पक्षों को चुनाव आयोग में हलफनामा देने की तारीख 8 अगस्त है। अगर कोई पक्ष समय की मांग करता है, तो आयोग उस पर विचार करें।सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई से पहले उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। हलफनामे में कहा- महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार जहरीले पेड़ का फल है। इस जहरीले पेड़ के बीज बागी विधायकों ने बोए थे। शिंदे गुट के विधायकों ने संवैधानिक पाप किया है। शिंदे और बागी विधायक अशुद्ध हाथ लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

अदालत फैसला सुनाएगी की क्या इस मामले को 5 जजों की बेंच को सौंपना चाहिए या नहीं?

इससे पहले गुरुवार को हुई सुनवाई में सबसे पहले शिवसेना के 16 विधायकों की बर्खास्तगी का मामला सुना गया। शिंदे कैंप के वकील हरीश साल्वे ने सबसे पहले अपना पक्ष रखा। साल्वे ने स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया की पूरी जानकारी देते हुए कहा- जब तक विधायक अपने पद पर है, तब तक वह सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने का अधिकारी है। वह पार्टी के खिलाफ भी वोट करे तो वोट वैध होगा।इस पर CJI रमना ने सवाल किया- क्या एक बार चुने जाने के बाद विधायक पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता? वह सिर्फ पार्टी के विधायक दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है?

चुनाव आयोग (EC) के वकील अरविंद दातार से जब उनका पक्ष पूछा गया तो उन्होंने कोर्ट को बताया- अगर हमारे पास मूल पार्टी होने का कोई दावा आता है, तो हम उस पर निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य हैं। विधानसभा से अयोग्यता एक अलग मसला है। हम अपने सामने रखे गए तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हैं।CJI रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने शिंदे गुट के वकील को कोर्ट का फैसला आने से पहले सरकार बना लेने पर फटकार लगाई थी। बेंच ने कहा था कि वे अपने पॉइंट्स क्लीयर करके दोबारा ड्राफ्ट जमा करें, तब इस पर 10 से 15 मिनट विचार किया जाएगा।

अदालत फैसला सुनाएगी की क्या इस मामले को 5 जजों की बेंच को सौंपना चाहिए या नहीं?

इधर, उद्धव गुट के वकील सिब्बल ने CJI से अपील की- मामला संविधान पीठ को मत भेजें। हम (मैं और सिंघवी) 2 घंटे में अपनी दलील खत्म कर सकते हैं। जो विधायक अयोग्य ठहराए जा सकते हैं, वह चुनाव आयोग में असली पार्टी होने का दावा कैसे कर सकते हैं? इस पर CJI ने कहा- ऐसा करने से किसी को नहीं रोका जा सकता।

असली शिवसेना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तीन-जजों की बेंच ने 20 जुलाई को कहा था कि शिवसेना के संबंध में दायर याचिकाओं को बड़ी बेंच के पास भेजा जा सकता है।बुधवार को दोनों पक्षों के वकीलों में जोरदार बहस हुई। शिंदे गुट के वकील ने कहा कि हमने पार्टी नहीं छोड़ी है। हमने नेता के खिलाफ आवाज उठाई है। हम अभी भी पार्टी में हैं।वहीं उद्धव कैंप के वकील कपिल सिब्बल ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा था- बागी विधायक या तो किसी पार्टी में विलय करें या नई पार्टी बनाएं।

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