चेक बाउंस मामलों में भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व जिला महामंत्री समेत परिवार के तीन सदस्यों को 1-1 साल की कैद

अदालत ने 9 प्रतिशत ब्याज समेत राशि लौटाने के भी दिए निर्देश
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check bounce case hearing
जिला महामंत्री भाजपा युवा मोर्चा प्रियांक दत्त शर्मा पर 2017 से लंबित डेढ़ लाख रुपये के चेक बाउंस मामले में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अविनाश यादव की अदालत ने एक साल कैद व चेक राशि की 9 प्रतिशत ब्याज की दर से जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही एक लाख रुपये के चेक बाउंस के अलग मामले में  प्रियांक के भाई हर्ष शर्मा को भी एक साल की सजा सुनाई है। 

भिवानी - हम सभी को चेक (Cheque) के बारे में तो जरूर सुनने को मिलता है। जो लोग बैंकों के काम कराते हैं वो तो चेक से बखूबी परिचित हैं और ये भी जानते हैं कि पैसे के ट्रांजेक्शन के लिए ऑनलाइन मोड और यूपीआई वगैरह तो आजकल के माध्यम हैं, लेकिन चेक से पैसे निकालने का काम सालों से चला आ रहा है। हालांकि एक बात है जो लोग थोड़ा कम जानते हैं वो ये है कि अगर चेक बाउंस यानी खारिज हो जाए तो लोगों को पेनल्टी भी देनी पड़ती है और इसका असर सिबिल हिस्ट्री में भी आ सकता है।  यहां तक कि ज्यादा गंभीर मामलों में सजा तक का प्रावधान है।  

 वहीं, ऐसे ही चेक बाउंस मामले में स्थानीय अदालत ने भाजपा युवा माेर्चा के पूर्व जिला महामंत्री समेत परिवार के तीन सदस्यों  को एक-एक साल की कैद व 9 प्रतिशत ब्याज समेत राशि लौटाने के आदेश दिए हैं। शिकायतकर्ता दिनकर शर्मा के भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व जिला महामंत्री प्रियांक शर्मा के परिवार के साथ  दोस्ताना  रिश्ते थे।

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दिनकर शर्मा ने प्रियांक के पिता ओमप्रकाश शर्मा काे वर्ष 2016 में दस लाख रुपये उधार दिए थे। वर्ष 2017 में ओमप्रकाश ने शिकायतकर्ता दिनकर शर्मा काे ब्याज सहित राशि लाैटाने के लिए 11 लाख 20 हजार रुपये का चेक दिया। जबकि उसके पुत्र प्रियांक शर्मा ने डेढ़ लाख तथा हर्ष ने एक लाख रुपये का चेक दिया था। तीनों के चेक बैंक में बाउंस हो गए थे। इसके बाद भी जब दिनकर शर्मा को राशि वापस नहीं की तो उन्होंने  अदालत की शरण ली। स्थानीय अदालत ने मामले में तीनों को आरोपी माना तथा मंगलवार को उन्हें एक-एक साल की कैद व 9 प्रतिशत ब्याज समेत राशि लौटाने के निर्देश दिए है।

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दिनकर शर्मा के वकील महेश भारद्वाज व एडवोकेट प्रवीण अत्री ने बताया कि चेक बाउस मामले में अदालत ने ओमप्रकाश, प्रियांक शर्मा व हर्ष को उक्त सजा सुनाई है। उन्होंने कहा क वे अदालत के फैसले का सम्मान करते है लेकिन सजा बढ़ाने के लिए सेशन कोर्ट में अपील दायर की जाएगी।

जानें क्या है चेक बाउंस 

जब कोई चेक को बैंक में पेमेंट के लिए देता है और अगर अकाउंट में पैसे न होने या अन्य किसी कारण के चलते वो रिजेक्ट हो जाता है तो इसे चेक बाउंस होना कहते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन मुख्य वजह खाते में पर्याप्त राशि नहीं होना होती है।  बता दें कि चेक पर साइन में डिफरेंस होने से भी वह बाउंस हो जाता है। 

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