चाइल्ड एडॉप्शन पर फैसला: हाईकोर्ट ने कहा- तलाक लेने के बाद एक मां पूर्व पति से हुए बच्चे को गोद भी ले सकती है

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भिवानी की फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द करते  टिप्पणी दी 
 | 
2017 में महिला ने किसी और से शादी कर ली और पूर्व पति से हुई बच्ची को गोद लेने की मांग की। भिवानी कोर्ट को दस्तावेज भी दिखाए गए थे कि बच्ची उनके साथ रहना चाहती है।
भिवानी कोर्ट ने मां की अर्जी को वर्ष 2021 में रद्द कर दिया था। जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट, 2015 की धारा 56(2) के तहत अर्जी दायर की गई थी। 2017 में महिला ने किसी और से शादी कर ली और पूर्व पति से हुई बच्ची को गोद लेने की मांग की। भिवानी कोर्ट को दस्तावेज भी दिखाए गए थे कि बच्ची उनके साथ रहना चाहती है।

चंडीगढ़ - पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भिवानी की फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में  कहा- एक मां को उसके पहले पति से हुई बच्ची को अपनाने का मौका मिला है। तलाक लेने के बाद एक मां पूर्व पति से हुए बच्चे को गोद भी ले सकती है। 

2017 में महिला ने किसी और से शादी कर ली और पूर्व पति से हुई बच्ची को गोद लेने की मांग की। भिवानी कोर्ट को दस्तावेज भी दिखाए गए थे कि बच्ची उनके साथ रहना चाहती है।

दरअसल पहले पति से तलाक लेने के बाद महिला ने दूसरी शादी कर ली थी। अपने नए पति के साथ महिला ने भिवानी कोर्ट में पहले पति से हुई बच्ची को गोद लेने के लिए अर्जी दायर की। महिला के मुताबिक, बच्ची भी उसके साथ रहना चाहती थी। 2012 में बच्ची पैदा हुई थी, जिसके बाद महिला का पति से तलाक हो गया था। 2017 में महिला ने किसी और से शादी कर ली और पूर्व पति से हुई बच्ची को गोद लेने की मांग की। भिवानी कोर्ट को दस्तावेज भी दिखाए गए थे कि बच्ची उनके साथ रहना चाहती है।

चाइल्ड एडॉप्शन पर  फैसला: हाईकोर्ट ने कहा


वहीं हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बच्चा गोद लेने वाली अर्जी सिर्फ इस आधार पर रद्द नहीं की जा सकती कि खून के रिश्ते वाली मां 'ड्यूल स्टेटस' के तहत मां नहीं बन सकती। इसमें खून के रिश्ते वाली मां (बॉयोलोजिकल) और गोद लेकर बच्चा अपनाने वाली मां का स्टेटस शामिल है।

जस्टिस ऋतु बाहरी और जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की बेंच ने कहा कि मौजूदा केस में सभी संबंधित दस्तावेज संलग्न किए गए थे। ऐसे में अर्जी को सिर्फ 'ड्यूल स्टेटस' के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता था। ऐसे में भिवानी कोर्ट का फैसला रद्द किया जाता है।

चाइल्ड एडॉप्शन पर  फैसला: हाईकोर्ट ने कहा


भिवानी कोर्ट ने कहा था कि यदि अर्जी सौतेले मां-बाप भी दायर करते तो भी इसका कोई आधार नहीं होता, क्योंकि खून के रिश्ते में मां 'ड्यूल स्टेटस' नहीं रख सकती। हालांकि हाईकोर्ट ने अपील केस में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की नोटिफिकेशन का हवाला दिया।

इसमें रेगुलेशन 52 के सब- क्लॉज (1) के तहत कोई कपल, जिसमें एक सौतेला मां/बाप हो और एक खून के रिश्ते वाली मां/बाप हो, वह चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स इन्फॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम में सूची 4 में दिए गए आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन कर सकते हैं।
 

Latest News

Featured

Around The Web