तीन महीनों के लिए भारत के चीफ जस्टिस बनेंगे जस्टिस उदय उमेश ललित

नई दिल्ली- जस्टिस यूयू ललित 2014 में बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए थे। जस्टिस एसएम सीकरी के बाद जस्टिस ललित इस तरह नियुक्त होने वाले दूसरे जज होंगे, जो CJI बनेंगे। उनसे पहले जस्टिस सीकरी मार्च 1964 में इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए थे। वह जनवरी 1971 में भारत के 13वें चीफ जस्टिस बने थे।CJI ने केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू को जस्टिस ललित के नाम का सिफारिशी पत्र सौंप दिया है। कानून मंत्री के जरिए यह सिफारिश भारत सरकार तक जाएगी। अगर यह मान ली जाती है तो जस्टिस ललित भारत के 49वें चीफ जस्टिस बनेंगे।
ललित ऐसे दूसरे चीफ जस्टिस होंगे जो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले किसी हाई कोर्ट के जज नहीं थे, बल्कि सीधे वकील से इस पद पर पहुंचे थेउनसे पहले 1971 में देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश एस एम सीकरी ने यह उपलब्धि हासिल की थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस उदय उमेश ललित के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है। जस्टिस रमना 26 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। 27 अगस्त को शपथ लेने वाले जस्टिस ललित का चीफ जस्टिस के रूप में कार्यकाल 8 नवंबर तक होगा। इस समय सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस ललित देश के 49वें कि मुख्य न्यायाधीश होंगे।
जस्टिस यूयू ललित अयोध्या रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई करने वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ में शामिल थे। पीठ में CJI रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, एनवी रमणा और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश एडवोकेट राजीव धवन ने पीठ से कहा कि जस्टिस यूयू ललित 1997 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन CM कल्याण सिंह की ओर से बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के मामले में पेश हुए थे। धवन की इस टिप्पणी के बाद जस्टिस ललित ने 10 जनवरी 2019 को खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था।