पत्रकार सिद्दकी कप्पन को सुप्रीम ने इन शर्तों के साथ दी जमानत

सिद्दकी कप्पन को 5 अक्टूबर, 2020 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) के तीन सदस्यों के साथ गिरफ्तार किया गया था
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सिद्दीकी कपल्स इमेज चारों आरोपियों को 6 अक्टूबर 2020 के दिन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया पर कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. 7 अक्टूबर को पुलिस ने इस मामले में पहली FIR दर्ज की.

नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 9 सितंबर को UAPA(Unlawful Activities Prevention Act) के तहत गिरफ्तार केरल के पत्रकार सिद्दकी कप्पन(Siddiqui Kappan) को जमानत दे दी है. कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने अक्टूबर, 2020 में उस वक्त गिरफ्तार किया था, जब वे हाथरस(Hathras Gangrape and Murder) में  एक दलित लड़की का गैंगरेप व मर्डर के बाद उसके परिजनों से मिलने जा रहे थे. 

सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है. उत्तर प्रदेश पुलिस का आरोप है कि सिद्दकी कप्पन को 5 अक्टूबर, 2020 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) के तीन सदस्यों के साथ गिरफ्तार किया गया था, जो उनके साथ हाथरस जा रहे थे.

PFI को भारत सरकार चरमपंथी संगठन मानती है. हालांकि कप्पन ने PFI(Popular Front Of India) से किसी भी तरह का संबंध होने से इंकार किया है. सिद्दकी कप्पन को करीब 2 साल के बाद जमानत मिली है. 

जमानत की शर्तें इस प्रकार हैं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कप्पन को 3 दिन बाद ट्रायल कोर्ट में ले जाया जाएगा और उसके बाद जमानत पर रिहा किया जाएगा.

अदालत ने जमानत में ये शर्त लगाई है कि सिद्दकी कप्पन दिल्ली के जंगपुर इलाके में रहेंगे और वे बिना ड्रायल कोर्ट की अनुमति के दिल्ली नहीं छोड़ेंगे.

उन्हें हर हफ्ते सोमवार को स्थानीय पुलिस स्टेशन में पेश होना होगा. कप्पन को के सारी शर्तें अगले छह हफ़्तों तक माननी होंगी. उसके बाद वे केरल में अपने परिवार के पास जा सकते हैं.

लेकिन वहां भी उन्हें पुलिस स्टेशन में हर सोमवार को हाजिरी लगानी होगी. इसके अलावा उन्हें अपना पासपोर्ट भी जांच एजेंसियों के हवाले करना होगा.

प्रिवेंटिव पावर के तहत किया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश पुलिस ने सिद्दकी कप्पन को प्रिवेंटिव पावर(preventive power) के तहत हिरासत में लिया था. CrPc की धारा 151 के तहत पुलिस किसी भी अपराध की आशंका के कारण किसी की हिरासत में ले सकती है.

सिद्दीकी कपल्स इमेज चारों आरोपियों को 6 अक्टूबर 2020 के दिन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया पर कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. 7 अक्टूबर को पुलिस ने इस मामले में पहली FIR दर्ज की. इस FIR में UAPA के सेक्शन 17 और 18, IPC(Indian Penel Code) की धारा 124A(राजद्रोह), 153A(दो समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाने), 295A(धार्मिक भावनाएं आहत करने) और IT Act(Information Technology Act) की धारा 62,76,72 के तहत मामला दर्ज किया था.

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