रजामंदी से बनाए शारारिक संबंधों के बाद अगर कोई शादी से इनकार कर दे, तो ये रेप नहीं है - केरल हाईकोर्ट

किसी रिश्ते के ख़त्म होने का हमेशा ये मतलब नहीं होता है कि किसी एक साथी को शादी के झूठे वादे पर यौन संबंध के लिए मजबूर किया गया हो
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HIGHCOURT
अगर किन्हीं दो वयस्क लोगों के बीच आपसी सहमति से बनाया रिश्ता शादी में तब्दील न हो, तो उसे रेप नहीं माना जाएगा. सहमति का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. अगर वो एक फिज़िकल रिलेशनशिप में है और उनमें से कोई शादी करने से इनकार कर दे या किसी कारण से शादी न हो पाए, तो वो रेप के दायरे में नहीं आएगा - केरल हाईकोर्ट

तिरुवनंतपुरम  - हाल ही में केरल हाईकोर्ट(Kerala Highcourt) ने अपने फ़ैसले में कहा कि अगर दो वयस्क(Adults) लोग सहमति से शारीरिक संबंध(Physical Relation) बनाते हैं और किसी कारणवश शादी न हो पाए या उनमें से कोई शादी करने से इनकार कर दे तो इसे रेप(Rape) नहीं माना जाएगा. जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस(Justice Bechu Kurian Thomas) की बेंच ने ये बात रेप के आरोप में गिरफ़्तार एक वक़ील की ज़मानत पर सुनवाई के दौरान बात कही. इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को ज़मानत भी दे दी.

प्रतिष्ठित कानूनी मामलों पर रिपोर्ट करने वाली न्यूज़ वेबसाइट के मुताबिक़, आयकर विभाग(Income tax Department) के स्थायी वक़ील नवनीत नाथ(Navneet Nath) के ख़िलाफ़ कोल्लम(Kollam) की रहने वाली एक महिला ने नवनीत पर आरोप लगाए कि उन्होंने शादी का झूठा वादा कर चार सालों तक महिला का रेप किया. पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने रेप के आरोप में 21 जून को आरोपी नवनीत को गिरफ़्तार कर लिया.

मामला कोर्ट में पहुंचा तो पता चला कि पीड़िता आरोपी के साथ ही काम करती थीं और दोनों चार साल से ज़्यादा समय से रिश्ते में थे. फिर नवनीत ने दूसरी महिला से शादी करने का फैसला कर लिया. जब पीड़िता को ये पता चला  तो वो एक होटल में आरोपी नवनीत नाथ की मंगेतर(fiance) से मिलीं और कथित तौर पर उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की. आत्महत्या(Sucide) की इस कथित कोशिश के बाद ही मामला पुलिस के पास पहुंचा. पीड़िता ने शिकायत में अपना बयान दर्ज करवाया और नवनीत को गिरफ़्तार कर लिया गया. इसके बाद आरोपी नवनीत ने केरल हाई कोर्ट में ज़मानत के लिए अर्जी दायर की.

पीड़िता के वक़ील ने आरोप लगाया कि नवनीत ने पीड़िता से शादी करने का वादा करके कई बार अलग-अलग जगहों पर उनका रेप किया. इसके बाद किसी और से शादी करने का फैसला कर लिया. आरोप ये भी लगाया गया कि आरोपी ने पीड़िता को दो बार गर्भपात(Abortion) कराने के लिए मजबूर किया था. इसलिए केस में IPC की धारा-313 (जबरन गर्भपात करवाना) को भी शामिल किया गया.

दूसरी तरफ़ नवनीत के वक़ील ने अदालत को बताया कि नवनीत शिकायतकर्ता से शादी करना चाहते थे. उनके बीच चल रहा संबंध पूरी तरह से सहमति और प्रेम पर आधारित था. इसके अलावा उन्होंने आगे अदालत को ये भी बताया कि नवनीत शुरू से ही जानते थे कि उनके रिश्ते में दिक़्क़तें आ सकती हैं क्योंकि वो दोनों अलग-अलग धर्म के हैं.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की सिंगल-बेंच(Single Bench) ने फ़ैसला सुनाया. कहा, "अगर किन्हीं दो वयस्क लोगों के बीच आपसी सहमति से बनाया रिश्ता शादी में तब्दील न हो, तो उसे रेप नहीं माना जाएगा. सहमति का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. अगर वो एक फिज़िकल रिलेशनशिप(Physical Relationship) में है और उनमें से कोई शादी करने से इनकार कर दे या किसी कारण से शादी न हो पाए, तो वो रेप के दायरे में नहीं आएगा. एक पुरुष और एक महिला के बीच यौन संबंध केवल तभी रेप की कैटेगरी(Category of Rape) में आ सकता है जब वो उसकी इच्छा के विरुद्ध हो या सहमति ज़बरदस्ती या धोखे से ली गई हो."

केरल हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि अगर सेक्स के लिए सहमति शादी का वादे कर के ली जाती है, तो इसे सिर्फ़ तभी रेप माना जाएगा जब वादा ग़लत इरादे से किया गया हो. जस्टिस थॉमस ने कहा कि रिश्तों में इस तरह के बदलाव होने से बलात्कार के आरोपों की संख्या बढ़ रही है. किसी रिश्ते के ख़त्म होने का हमेशा ये मतलब नहीं होता है कि किसी एक साथी को शादी के झूठे वादे पर यौन संबंध के लिए मजबूर किया गया हो.

अब इस फ़ैसले के बाद कुछ चिंताएं हैं. जैसे कि क्या कोर्ट का ये फ़ैसला ऐसे मामलों में महिलाओं के अधिकारों को कमज़ोर कर सकता है? क्या इसका कोई दुरुपयोग हो सकता है? और पुलिस ये कैसे पता लगाएगी कि आरोपी ने सेक्स के लिए जो वादा किया वो ग़लत इरादे से किया गया था या नहीं?

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