मुस्लिम लड़की ने 16 साल की उम्र में लव मैरिज की, पंजाब-हरियाणा ने ये फैसला सुना दिया

सर दिनशाह फरदुनजी मुल्ला की पुस्तक 'प्रिंसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ' के अनुच्छेद 195 के अनुसार, मुस्लिम लड़की 16 वर्ष से अधिक होने के कारण अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह के अनुबंध में प्रवेश करने योग्य है। 

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भारत में शादी की कानूनी(Age of Marriage) उम्र लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल है। यह विशेष विवाह अधिनियम 1954(Special Marriage Act 1954) और बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006(Prohibition Of Child Marriage Act 2006) के अनुसार है।

चंडीगढ़: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट(Punjab & Haryana Highcourt) ने पिछले हफ्ते एक मुस्लिम लड़की को अपनी पसंद के मुस्लिम लड़के से शादी करने पर सुरक्षा प्रदान की। लड़की की उम्र 16 साल व लड़के की उम्र 21 साल है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस जसजीत सिंह बेदी(Justice Jasjit Singh Bedi) की संवैधानिक बेंच ने इस मुस्लिम जोड़े द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जिन्होंने मुस्लिम रीति रिवाज(Muslim Tradition) के हिसाब से शादी की थी।

मुस्लिम दंपति ने कोर्ट में कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से एक 15 वर्ष की लड़की शादी योग्य है। वह अपने पसंद के लड़के से शादी कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में यौवन की उम्र 15 वर्ष बताई गई है जिसके बाद कोई भी मुस्लिम शादी के योग्य भी हो जाता है।

मुस्लिम जोड़े की तरफ से वकील ने कोर्ट में यूनुस खान बनाम हरियाणा राज्य व अन्य [2014(3) आरसीआर आपराधिक 518 मामलों का हवाले देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता मुस्लिम दंपती विवाह के अनुबंध में बंधने योग्य हैं।

याचिकाकर्ता(Petitioner) के वक़ील ने सर दिनशाह फ़रदुन जी मुल्ला(Sir Dinshah Fardunji Mulla) की किताब 'प्रिंसीपल ऑफ मोहम्मडन'(Principal Of Mohamedan) की धारा 195 के हवाला देते हुए कहा कि एक स्वस्थ दिमाग(Healthy Mind) का मुसलमान जिसने यौवन प्राप्त कर लिया हो, विवाह के अनुबंध में बंध सकता है और सबूतों के अभाव में भी यौवन माना जाता है।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यूनुस खान बनाम हरियाणा राज्य में नोट किया कि एक मुस्लिम समाज की शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ के द्वारा शासित होती है। कोर्ट ने कहा कि कानून, जैसा कि ऊपर उद्धृत(Cite) विभिन्न निर्णयों(Various Judgement) में बताया गया है। जिसमें स्पष्ट है कि एक मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा शासित होती है। सर दिनशाह फरदुनजी मुल्ला की पुस्तक 'प्रिंसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ' के अनुच्छेद 195 के अनुसार, मुस्लिम लड़की  16 वर्ष से अधिक होने के कारण अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह के अनुबंध में प्रवेश करने योग्य है। 


कोर्ट ने कहा,"न्यायालय इस तथ्य पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता कि याचिकाकर्ताओं की आशंका को दूर करने की आवश्यकता है। केवल इसलिए कि याचिकाकर्ताओं ने अपने परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध शादी कर ली है, उन्हें संभवतः संविधान में परिकल्पित मौलिक अधिकारों(Moral Rights) से वंचित नहीं किया जा सकता है।"

बता दें कि भारत में शादी की कानूनी(Age of Marriage) उम्र लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल है। यह विशेष विवाह अधिनियम 1954(Special Marriage Act 1954) और बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006(Prohibition Of Child Marriage Act 2006) के अनुसार है। हालांकि, मुस्लिम कानून के तहत, शादी या निकाह एक अनुबंध(Contract) है। मुस्लिम कानून(According Of Muslims Law) वयस्कों के अपनी मर्जी से शादी करने का अधिकार और मान्यता देता है।

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