हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट की मांग हुई तेज़, मुख्यमंत्री ने लिखा अमित शाह को पत्र

हरियाणा में अलग हाईकोर्ट के लिए विधानसभा में 14 मार्च, 15 दिसंबर और 4 मई 2017 को प्रस्ताव पारित हो चुके हैं
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मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां तक कि सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय में भी अलग हाईकोर्ट है. वर्तमान में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में  हरियाणा के क़रीब 50 फ़ीसदी केश लंबित पड़े हुए हैं.

चंडीगढ़ - साल 1966 में जब से हरियाणा(Haryana) अलग हुए था तो हाईकोर्ट(Highcourt) और राजधानी संयुक्त रखी गई थी यानी दोनों राज्यों की राजधानी चंडीगढ़(Capital Chandigarh) और उसमें दोनों की हाईकोर्ट जिसे हम पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट कहते हैं. अब समस्या ये है कि दोनों ही राज्यों के सभी कानूनी मामले एक ही हाईकोर्ट में होने के चलते लंबित पड़े रहते हैं जिससे न्यायिक प्रणाली प्रभावित हो रही है और आम जनमानस को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 

ऐसे में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर(Manohar Lal Khattar) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(Central Home Minister Amit Shah) को पत्र लिख हरियाणा के लिए चंडीगढ़ में अलग हाईकोर्ट बनाने की मांग की है. मुख्यमंत्री ने 30 अप्रेल 2022 को दिल्ली में हुई मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीशों की कॉन्फ्रेंस(Conference or Chief Ministers And Chief Justice Of Highcourt) का हवाला देते हुए यह पत्र लिखा है. पत्र में सीएम ने लिखा है कि साल 1966 में अलग होने के बाद हरियाणा और पंजाब की सयुंक्त हाईकोर्ट चंडीगढ़ में है. ऐसे में  केंद्रीय कानून मंत्री के साथ पंजाब-हरियाणा की जॉइंट मीटिंग बुलाई जाए. एक बार इस पर सैद्धांतिक फैसला हो गया तो अन्य मुद्दों भी सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सिक्किम(Sikkim), त्रिपुरा(Tripura), मणिपुर(Manipur) व मेघालय(Meghalay) में भी अलग हाईकोर्ट है.

खट्टर ने कहा कि हरियाणा में अलग हाईकोर्ट के लिए विधानसभा में 14 मार्च, 15 दिसंबर और 4 मई 2017 को प्रस्ताव पारित हो चुके हैं. मुख्यमंत्री ने सविंधान के अनुच्छेद 214 का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 214 में साफ लिखा हुआ है कि प्रत्येक राज्य के लिए अलग हाईकोर्ट होना चाहिए. उन राज्यों के लिए अलग हाईकोर्ट होना चाहिए जो पिछले दशक ही बने हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां तक कि सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय में भी अलग हाईकोर्ट है. वर्तमान में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में  हरियाणा के क़रीब 50 फ़ीसदी केश लंबित पड़े हुए हैं.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि 30 अप्रेल को दिल्ली में मुख्यमंत्रियों और चीफ़ जस्टिसों की जॉइंट मीटिंग(Joint Meeting) में  पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान(Bhagwant Maan) ने पंजाब के लिए अंग हाईकोर्ट न्यू चंडीगढ़(New Chandigarh) में स्थापित करने की मांग की थी. ऐसे में यह सही वक़्त है कि पंजाब और हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट बनाई जाए. उन्होंने कहा," इसलिए मेरे मानना है कि केंद्र सरकार भारत के चीफ जस्टिस की सलाह पर लंबे वक़्त से लंबित पड़े मामले के समाधान के लिए आगे बढ़ सकती है. यदि एक बार इस विषय पर सैद्धांतिक फैसला हो गया तो अन्य मुद्दों भी सुलझा लिया जाएगा." मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इस मामले में केंद्रीय कानून मंत्री(Central Law Minister)  किरेन रिजिजू(Kiren Rijiju) के साथ जॉइंट मीटिंग बुलाई जाए और मामले को आगे बढ़ाया जाए.
(Punjab)
















 

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