सुप्रीम कोर्ट ने कहा- शक के आधार पर किसी दोषी नहीं ठहरा सकते, हाईकोर्ट के निर्णय व आदेश टिकाऊ नहीं

हत्या के मामले में एक व्यक्ति को किया बरी,जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने की सुनवाई
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सुप्रीम कोर्ट के नियम 1966 संविधान के आर्टिकल 145 में दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक आरोपी तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक कि उसे उचित संदेह से परे दोषी साबित नहीं किया जाता। शीर्ष अदालत पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

नई दिल्ली- शीर्ष अदालत पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में कोर्ट ने अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, एक आरोपी तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक कि उसे उचित संदेह से परे दोषी साबित नहीं किया जाता।

सुप्रीम कोर्ट के नियम 1966 संविधान के आर्टिकल 145 में दिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि एक आरोपी को संदेह के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, चाहे वह कितना भी मजबूत क्यों न हो। यह कानून पहले से ही स्थापित है कि संदेह कितना ही मजबूत क्यों न हो, युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाण का स्थान नहीं ले सकता।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सेशन जज और हाईकोर्ट के निर्णय और आदेश टिकाऊ नहीं है। लिहाजा, आरोपी को बरी करने का आदेश दिया जाता है।शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में अभियोजन उन घटनाओं को स्थापित करने में पूरी तरह से विफल रहा है, जिसके बारे में कहा गया था कि अभियुक्त ही दोषी है। 

सुप्रीम कोर्ट के नियम 1966 संविधान के आर्टिकल 145 में दिए गए हैं।

जानें उच्चतम न्यायालय के गठन के बारें में 

भारत के उच्चतम न्यायालय का गठन 26 जनवरी 1950 को किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में 1 मुख्य न्यायधीश के अलावा अधिकतम 30 अन्य न्यायधीश हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के शुरुआती दिनों में सभी न्यायधीश एक साथ केस की सुनवाई करते थे लेकिन अब यह अलग-अलग होती है।सुप्रीम कोर्ट का संचालन संसद से किया गया था। सुप्रीम कोर्ट मौजूदा इमारत में सन 1958 में शिफ्ट हुआ था। शुरुआती संविधान में सुप्रीम कोर्ट में 1 मुख्य न्यायधीश और 7 अन्य न्यायधीश का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट के नियम 1966 संविधान के आर्टिकल 145 में दिए गए हैं।

लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में केस की संख्या बढ़ने के साथ न्यायधीशों की मान्य संख्या बढ़कर 30 हो चुकी है।सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र के बाद रिटायर हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को भारत का नागरिक होने के साथ 5 साल किसी हाईकोर्ट में जज के पद पर रहना जरूरी है या वो दस साल से वकालत कर रहा हो या राष्ट्रपति की नजर वो अच्छा न्यायकर्ता हो। सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही केवल इंगलिश में होती है।

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