अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, कोर्ट के फैसले से अमेरिका में बवाल

सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के चर्चित ‘रोए वी वेड’ (Roe v. Wade 1973) के फैसले को पलट दिया है
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अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में एक जगह पर लिखा है, "हम मानते हैं कि गर्भपात कराने का हक़ संविधान प्रदत्त(Constitutional Right) नहीं है... और गर्भपात के नियमों को लेकर फ़ैसला लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में होना चाहिए"

वाशिंगटन डीसी: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के फ़ैसले ने पूरे अमेरिका को बांट दिया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के गर्भपात (Abortion) के संवैधानिक अधिकार को ख़त्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के चर्चित ‘रोए वी वेड’ (Roe v. Wade 1973) के फैसले को पलट दिया है, जिसमें महिला के गर्भपात के को कानूनी(Legalise Abortion) करार दिया था। कोर्ट के इस फैसले की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। कयास लगाए जा रहे हैं  कि इस फैसला से अमेरिका में गर्भपात के अधिकारों को झटका लगेगा। इससे अमेरिका के राज्यों को अब गर्भपात की प्रक्रिया पर पाबंदी लगाने का अधिकार मिल जाएगा। जिसके लिए कभी एक लंबी लड़ाई वहां लड़ी गई थी।

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में एक जगह पर लिखा है, "हम मानते हैं कि गर्भपात कराने का हक़ संविधान प्रदत्त(Constitutional Right) नहीं है... और गर्भपात के नियमों को लेकर फ़ैसला लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में होना चाहिए"

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर फैसला सुनाने वाला था, उस दौरान कोर्ट के बाहर दोनों ही पक्ष के प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए थे। किसी टकराव के डर से पुलिस ने एहतियातन दोनों प्रदर्शनकारियों को अलग अलग किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक तरफ गर्भपात के विरोधी गुट में खुशी की लहर दौड़ गई तो दूसरी तरफ़ इसके समर्थकों में गहरी निराशा दिखाई दी। जिनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा(Ex President Barack Obama) भी शामिल हैं।

बराक ओबामा ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ट्वीट कर कहा,"आज सुप्रीम कोर्ट ने न केवल लगभग 50 वर्षों की मिसाल को उलट दिया, बल्कि उसने कई राजनेताओं और विचारकों की सनक की वजह से लोगों के व्यक्तिगत निर्णय लेने के फैसले को खत्म करवा दिया है। ये लाखों अमेरिकियों की स्वतंत्रता पर हमला है।"

वहीं ब्रिटेन के एमपी जेरेमी कॉर्बिन (British MP Jeremy Corbyn) ने भी अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा,"रोए वी वेड’ को पलटने का अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन लाखों लोगों के लिए विनाशकारी है, जिन्होंने हर राज्य में प्रजनन अधिकारों(Reproduction Rights) के लिए संघर्ष किया और इन्हें जीता। हम दुनियाभर में गर्भपात के अधिकारों और स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच के लिए सभी संघर्षों के साथ खड़े हैं।"

इसके अलावा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन(British Prime minister Boris Johnson) ने भी इस फैसले को 'पिछड़ा हुआ कदम' बताया है।

क्या है रो बनाम वेड मामला

साल 1971 में गर्भपात कराने में नाकाम रही एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसे रो बनाम वेड मामला कहा गया। याचिकाकर्ता महिला ने अपनी अर्जी में कहा था कि गर्भपात की सुविधाओं तक आसान पहुंच की जाए। इसके साथ ही कहा था कि गर्भधारण(Pregnancy) और गर्भपात(Abortion) का फ़ैसला महिला का होना चाहिए न कि सरकार का। इसके दो साल बाद 1973 में कोर्ट ने इस मामले में अपना फ़ैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को क़ानूनी करार दिया और कहा कि गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का सविंधानिक अधिकार(Constitutional Right) है।

फ़ैसले के बाद अस्पतालों के लिए महिलाओं को गर्भपात की सुविधा देना जरूरी कर दिया गया। इस फ़ैसले में कोर्ट ने अमेरिकी महिला को प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनों में गर्भपात का कानूनी अधिकार दिया हालांकि दूसरे ट्राइमेस्टर यानी चौथे से लेकर छठे महीने में गर्भपात को लेकर पाबंदियां लगाई गईं। लेकिन इसके बाद इस मामले ने तूल विवाद बढ़ा। धार्मिक समूहों ने फ़ैसले का कड़ा विरोध किया। क्योंकि उनका मानना था कि भ्रूण को जीवन का हक़ है। इस मुद्दे पर अमेरिका में मुख्य राजनीतिक पार्टियां डेमोक्रेटिक(liberals) पार्टी और रिपब्लिकन(Conservatives) के विचार अलग-अलग थे। जिसके चलते 1980 तक ये मुद्दा ध्रुवीकरण का कारण बनने लगा। वहीं जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद देश अब साफ़ तौर पर गर्भपात के समर्थन और विरोध में देश के राज्य भी बंट जाएंगे।

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