न्यायिक व्यवस्था की राजनीतिक रैगिंग नहीं होने देंगे! कोलकाता हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

हाईकोर्ट के जज ने मुख्यमंत्री का नाम लिये बगैर कहा कि एक ‘विशेष व्यक्ति’ ने अदालत पर उंगली उठाते हुए कहा था कि अदालत की वजह से नियुक्तियां रुकी हुई हैं.
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हाई कोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज ने मुख्यमंत्री का नाम लिये बगैर कहा कि एक ‘विशेष व्यक्ति’ ने अदालत पर उंगली उठाते हुए कहा था कि अदालत की वजह से नियुक्तियां रुकी हुई हैं. भविष्य में अदालत के खिलाफ कोई टिप्पणी करने से पहले यह देख लें कि इसमें कोई सच्चाई है या नहीं. न्यायिक व्यवस्था पर अगर कोई इस प्रकार से उंगली उठायेगा, तो हाईकोर्ट भी चुप नहीं रहेगा. न्यायिक व्यवस्था की राजनीतिक रैगिंग बर्दाश्त नहीं की जायेगी.

कोलकाता.  पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति घोटाला मामले में लगातार हो रहे खुलासों के बीच शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में जस्टिस अभिजीत गांगुली की एकल पीठ के समक्ष हलफनामा देकर बताया है कि बंगाल में 18 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं. इनकी नियुक्ति प्रक्रिया अब भी शुरू नहीं हुई है. हलफनामा के अनुसार, माध्यमिक शिक्षकों के 13,512, उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 5,327 एवं प्रधान शिक्षकों के 2,325 पद खाली पड़े हैं. हालांकि, इसका जिक्र नहीं किया गया कि हाईकोर्ट या अन्य अदालतों के आदेश की वजह से कितनी नियुक्तियां अटकी हुई हैं. साथ ही प्राथमिक शिक्षकों के रिक्त पदों का भी उल्लेख नहीं किया गया.

प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अभिजीत गांगुली ने 3,936 रिक्त पदों के लिए जल्द नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया. साथ ही नियुक्तियों के लिए पर्षद को विज्ञापन देकर उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के प्राप्तांक के साथ मेधा तालिका प्रकाशित करने को कहा.यह भी निर्देश दिया कि यदि भविष्य में भी पर्षद कोई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करती है, तो उस वक्त भी अभ्यर्थियों के प्राप्तांक के साथ मेधा तालिका विज्ञापन के माध्यम से प्रकाशित करनी होगी. न्यायाधीश ने शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव से पूछा है कि जब हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगायी है, तो नियुक्तियां क्यों अटकी हुई हैं? नियुक्तियां कब करेंगे? इस बारे में जज ने शिक्षा विभाग को 17 अगस्त तक हलफनामा पेश कर जानकारी देने का निर्देश दिया.

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज ने मुख्यमंत्री का नाम लिये बगैर कहा कि एक ‘विशेष व्यक्ति’ ने अदालत पर उंगली उठाते हुए कहा था कि अदालत की वजह से नियुक्तियां रुकी हुई हैं. भविष्य में अदालत के खिलाफ कोई टिप्पणी करने से पहले यह देख लें कि इसमें कोई सच्चाई है या नहीं. न्यायिक व्यवस्था पर अगर कोई इस प्रकार से उंगली उठायेगा, तो हाईकोर्ट भी चुप नहीं रहेगा. न्यायिक व्यवस्था की राजनीतिक रैगिंग बर्दाश्त नहीं की जायेगी.

बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 21 जुलाई की सभा में कहा था कि अदालत की वजह से 17 हजार शिक्षकों की नियुक्तियां अटकी हुई हैं. इसके बाद ही न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने स्वत: संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग से पूछा था कि राज्य में शिक्षकों के कितने पद रिक्त हैं और कितने पदों पर अदालत की वजह से नियुक्तियां रुकी हुई हैं?ऐसे में हाईकोर्ट की यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल सरकार की मुस्किले बढ़ा सकती है।

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