जानिए कोर्ट में वकील या न्याधीश क्यों पहनते हैं काले रंग का कोट और बैंड?

क्या कहता है Advocates Act-1961
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LAWYERS AND JUDGES
उस वक्त वकालत अधिकांश सेवा भाव से अमीर ज्यादा शिक्षित लोगों द्वारा की जाती थी, ऐसे लोग लम्बा गाउन पहनते थे। इस गाउन में पीछे दो पॉकेट होते थे तथा क्लाइंट अपने वकील के इस गाउन की जेब में जो श्रद्धा भक्ति होती थी।

आपने फिल्मों में या असल में भी हमेशा वक़ील या जज को काला कोट पहने और गले मे सफ़ेद रंग का बैंड लगाये देखा होगा। आपके दिमाग़ में ये बात जरूर आई होगी कि काला कोट की क्यों, रंग तो बहुत सारे हैं!.. किसी भी प्रोफेशन में एक यूनिफॉर्म होती है जोकि उनके लिए अनिवार्य होती है जिससे उन्हें अपनी पहचान बनाये रखने में मदद मिलती है। जैसे कि आप काले रंग का कोट पहने किसी को देखेंगे तो फटाक से समझ जाएंगे कि वे या तो एडवोकेट हैं या फिर जज साहब।

काला कोट ही क्यों

अब थोड़ा पीछे चलिए, क़रीब 300 साल पहले 1685 में ब्रिटेन के किंग चार्ल्स द्वितीय की मौत हो गई थी। जिसके बाद कोर्ट के सभी वकीलों और न्यायधीशों को शोक व्यक्त करने के लिए काले रंग का गाउन या कोट पहनने का आदेश दिया गया। उसके बाद कोर्ट में काले रंग का कोट पहनने का चलन शुरू हुआ। अब आप कहेंगें की ये तो पुराने या अंग्रेजों के जमाने की बात है तो अब क्यों चलन में है। भई! वो कहते हैं ना, अंग्रेज चले गए लेकिन कानून यहीं छोड़ गए। हमारे कानून के ज्यादातर एक्ट अंग्रेजों के ही बनाये हुए हैं जिनमें से कुछ को हमने अच्छे बदलावों के साथ अपना लिया है। उसी को लेकर अधिवक्ता अधिनियम(Advocates Act 1961 बनाया गया था जिसमें भारत के न्यायधीशों व वकीलों के लिए काले कोट को अनिवार्य कर दिया गया।

इसके अलावा काला रंग अंधे होने का प्रतीक भी है। जिसका मतलब वकील व न्यायाधीश किसी भी प्रकार का पक्षपात नही करेंगे। न्यायधीश इंसाफ़ के लिए अटल रहेगा और वकील अपने क्लाइंट के लिए ईमानदार। वह अपने क्लाइंट से किसी भी जाति, धर्म,भाषा, लिंग या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव नही करेगा।

वहीं एक और तर्क ये भी है कि काला रंग ऐसा रंग है जिस रंग पर आप कोई अन्य रंग नहीं चढ़ा सकते तथा न्यायपालिका को इस रंग से जोड़ने का कारण यही है कि न्यायालय किसी रंग में नहीं रंगा जा सकेगा तथा वह न्याय को लेकर अटल रहेगा, उस पर कोई रंग नहीं चढ़ाया जा सकता। काला रंग शक्ति और शौर्य का भी प्रतीक रहा है, इसलिए भी कोट और गाउन के रंग को काला रखा गया है।

काला गाउन का महत्व

आपने वकीलों व जजों को काला गाउन भी पहने हुए देखा होगा। इसकी शुरुआत भी अंग्रेजों ने की थी। भारत के साथ साथ इंग्लैंड में आज भी हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के वक़ील व जज अदालतों में काले रंग का गाउन पहनते हैं। 

इंग्लैंड में लीगल प्रेक्टिस का काम अमीर घरों के लोगों द्वारा ही किया जाता था और लंबे कपड़े पहनना अमीर घरों के लोगो की पहचान हुआ करती थी।

उस वक्त वकालत अधिकांश सेवा भाव से अमीर ज्यादा शिक्षित लोगों द्वारा की जाती थी, ऐसे लोग लम्बा गाउन पहनते थे। इस गाउन में पीछे दो पॉकेट होते थे तथा क्लाइंट अपने वकील के इस गाउन की जेब में जो श्रद्धा भक्ति होती थी, उसके अनुसार धन डाल दिया करते थे। वकीलों द्वारा उन दिनों क्लाइंट्स से कोई फीस नहीं ली जाती थी।

सफ़ेद रंग का बैंड

उस वक्त वकील व न्यायधीश अपनी शर्ट के कॉलर छिपाने के लिए सफ़ेद रंग का बैंड भी पहनते थे। जोकि लिनन का एक कड़क कपड़ा होता था। लिनन वही महंगा कपड़ा होता है जिससे मिस्र में लोग मुर्दों को लपेटकर पिरामिड में रखते थे। अधिवक्ता अधिनियम (Advocates Act) 1961 में भारत मे सभी न्यायधीशों व वकीलों के लिए बैंड अनिवार्य कर दिया गया था।

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