श्रीलंका की राह पर बांग्लादेश, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच सरकार ने लिया IMF से कर्ज

पेट्रोल की कीमत 86 टका प्रति लीटर से बढ़कर 130 टका तक पहुंच गई है
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बांग्लादेश में ऊर्जा संकट का असर बिजली की सप्लाई पर भी पड़ा है. देश के कुछ इलाकों में 13 घंटों तक बिजली कटौती करनी पड़ी रही है. एक अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश की 416 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था सालों से दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रही है.

ढाका - एक तरफ हमारे दक्षिण में पड़ोसी देश श्रीलंका अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है तो वहीं बांग्लादेश भी उसी राह पर नजर आ रहा है. देश मे ऊर्जा क्षेत्र में सप्लाई में भारी कमी है जिसके चलते पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है. इसके विरोध में पिछले हफ्ते नागरिक सरकार के खिलाफ सड़कों पर भी उतरे थे. लेकिन अब खबर आ रही है कि सरकार ने श्रीलंका, पाकिस्तान के बाद आईएमएफ(International Monetary Fund) से कर्ज मांगा है. जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या बांग्लादेश भी श्रीलंका की तरह दिवालिया होने वाला है. 

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दरअसल बांग्लादेश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. लेकिन कुछ हफ्तों में देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 50 फीसदी से अधिक इजाफा देखने को मिला है. हालांकि सरकार इसे यूक्रेन-रूस(Russian-Ukaraine War) के बीच छिड़ी जंग को जिम्मेदार कह रही है. लेकिन नाराज जनता विरोध के लिए फिर से सड़कों पर उतर आई है.

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बांग्लादेश में पेट्रोल की कीमत 86 टका प्रति लीटर से बढ़कर 130 टका तक पहुंच गई है. वहीं डीजल और मिट्टी के तेल(केरोसिन) के दाम भी 42.5 फीसदी तक बढ़ गए हैं. बता दें कि हाल ही में सरकार ने पेट्रोल के दाम 51.7 फीसदी व डीजल के दाम 42.5 फीसदी तक बढ़ाने का फैसला लिया था. इसके बाद बढ़े हुए दाम लागू होने से पहले लोग गाड़ियों को लेकर देश के कई इलाकों में पेट्रोल पंपों की ओर चल पड़े.

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देखते ही देखते लोगों की लंबी लाइनें और अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया. लोगों में हिंसक झड़पें शुरू हो गई और शहरों में आगजनी व पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं. सुरक्षाबलों को बिगड़ते हालात को काबू करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा. इसके बाद कुछ पेट्रोल पंपों ने पेट्रोल व डीजल की बिक्री बंद कर द और उसके बाद विरोध प्रदर्शन और भड़क उठे. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इस कदर भारी बढ़ोतरी से देश के लाखों लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ेगा.

रूस-यूक्रेन युद्ध का है असर

पिछले कई महीनों से चले आ रहे रूस-यूक्रेन युद्ध(Russia-Ukraine War) के चलते दुनियाभर में क्रूड ऑयल(Crude Oil) की सप्लाई प्रभावित हुई है. जिसके चलते बांग्लादेश की ऊर्जा जरूरतें भी प्रभावित हुई हैं. रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों(Western Countries) ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं.

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बांग्लादेश में ऊर्जा संकट का असर बिजली की सप्लाई पर भी पड़ा है. देश के कुछ इलाकों में 13 घंटों तक बिजली कटौती करनी पड़ी रही है. एक अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश की 416 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था सालों से दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रही है. हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध व कोरोना महामारी के बाद बढ़ती ऊर्जा व खाने पीने की चीजों की कीमतों ने देश के इम्पोर्ट बिल(Import Bill) को बढ़ा दिया है. जिससे सरकार को आईएमएफ(International Monetary Fund) सहित अन्य ग्लोबल एजेंसियों से कर्ज लेना पड़ रहा है.

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