कर्ज़ में डूबा पाकिस्तान चीन को सौंप सकता है गिलगिट बाल्टिस्तान का इलाका!

चीन के कर्ज़ में दबे पाकिस्तान को लेकर भारत और अमेरिका ने जताई चिंता
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पाक
गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका आने वाले समय में टकराव के नए स्थान के रूप में उभर सकता है। हालांकि, यह इलाका हथियाना चीन के लिए इतना भी यह आसान नहीं होगा। अतंरराष्ट्रीय विरोध के साथ-साथ गिलगिट-बाल्टिस्तान में रहने वाले लोग इसके खिलाफ सड़क पर उतर सकते हैं। पहले से ही CPEC को लेकर वहां के लोग नाराज चल रहे हैं। गिलगिट-बाल्टिस्तान इलाके में सरकार ने पहले से ही लोकल प्रशासन को कम ताकतें दे रखी हैं।

दिल्ली.  पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हालात दुनिया से छुपे नहीं है एक और जहां पाकिस्तान मे राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। वहीं पाकिस्तान के आर्थिक हालात भी बहुत खराब हो चुके हैं, पाकिस्तान कर्जे के बोझ के तले दबा हुआ है, पाकिस्तान के हालात दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं। वह इमरान खान कि सरकार जाने के बाद वहां स्थिति और खराब हो गई है। पाकिस्तान ने इस समय सबसे ज्यादा कर्ज चीन से लिया हुआ है, पाकिस्तान एक तरह से चीन के चंगुल में फंसा हुआ है। चीन के कर्ज तले दबा पाकिस्तान दिनों दिन आर्थिक बदहाली के दलदल में फंसता जा रहा है। अब इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए वो कश्मीर के अवैध कब्जे वाला गिलगिट-बाल्टिस्तान इलाका चीन को सौंप सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारत के तनाव गंभीर स्थिती में पहुंच सकता है।

ऐसा करने से पाकिस्तान को चीन का लोन चुका देने से कुछ राहत तो मिल सकती है। लेकिन, अमेरिका इस हरकत से नाखुश हो सकता है। जिससे पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाली मदद पर भी मुश्किलें आ सकती हैं।

वहीं चीन, जो दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बढ़ाने के मौके ढूंढ रहा है। उसके लिए यह एक बहुत बड़ा मौका हो सकता है। क्योंकि, गिलगिट-बाल्टिस्तान से होकर ही चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) गुजरता है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक- गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका आने वाले समय में टकराव के नए स्थान के रूप में उभर सकता है। हालांकि, यह इलाका हथियाना चीन के लिए इतना भी यह आसान नहीं होगा। अतंरराष्ट्रीय विरोध के साथ-साथ गिलगिट-बाल्टिस्तान में रहने वाले लोग इसके खिलाफ सड़क पर उतर सकते हैं। पहले से ही CPEC को लेकर वहां के लोग नाराज चल रहे हैं। गिलगिट-बाल्टिस्तान इलाके में सरकार ने पहले से ही लोकल प्रशासन को कम ताकतें दे रखी हैं।

गिलगिट-बाल्टिस्तान में लोग रोजगार, बिजली, शिक्षा जैसे जरूरी सेवाएं न मिल पाने की वजह से परेशान हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक- पाकिस्तान में कुल 9% आत्महत्याएं इसी इलाके में होती हैं।

वहीं, दूसरी ओर पिछले साल के अफगानिस्तान से निकलने के बाद अमेरिका इस स्थिति में नहीं है कि वह चीन को गिलगिट-बाल्टिस्तान का कब्जा करने दे। अमेरिकी नेता बॉब लान्सिया के मुताबिक- अगर गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका भारत में होता या एक स्वतंत्र देश होता तो अमेरिका चीन को करारा जवाब देने में सक्षम होता। अमेरिकी फौज अफगानिस्तान में हथियार पहुंचाने के लिए पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहती।  पाकिस्तान की इस आशंका ने एक तरह से अमेरिका के साथ भारत की भी चिंता बढ़ा दी है। चीन के साथ पहले से भारत का तनाव चल रहा है ऐसे में अगर ड्रैगन पीओके और बाल्टिस्तान के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाता है तो यह भारत के लिए बेहद चिंता का विषय होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय इस स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं। भारत और अमेरिका इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चीन को घेरने का प्रयास करेंगे। लेकिन चाइना के कर्ज तले दबा पाकिस्तान का रवैया वर्तमान में भारत और अमेरिका दोनों के लिए ही सही नहीं है। ऐसे में इन दोनों  की चिंता बढ़ना जायज है। इस मुद्दे को लेकर भारत और अमेरिका चीन और पाकिस्तान को घेरने का संयुक्त प्रयास कर सकते हैं।

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