दवा से ज्यादा कफ सीरप की नशे में खपत, नेपाल से लेकर बांग्लादेश तक फैला नेटवर्क

FSDA के निशाने पर कई दवा कारोबारी, कोडिन युक्त सीरप सहित अन्य नॉरकोटिक्स दवाओं का बाजार बढ़ता 

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एफएसडीए अनुसार पिछले दिनों गोरखपुर और वाराणसी क्षेत्र में पकड़ी गई दवाओं के बाद इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि उत्तर प्रदेश की दवाएं नेपाल और बिहार, पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश तक जाती हैं। 

लखनऊ- अब एफएसडीए कफ सीरप दवाओं की तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने में जुटा है। एफएसडीए को गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर के कई बड़े दवा कारोबारियों पर भी संदेह हैं।  कप सीरप की ज्यादा बिक्री सर्दी के सीजन में होती है। कोडिन युक्त सीरप सहित अन्य नॉरकोटिक्स दवाओं का बाजार बढ़ता जा रहा है। जबकि एफएसडीए की पड़ताल में बिक्री से जुड़े दस्तावेजों में हेरफेर मिले। करीब 50 करोड़ का यह कारोबार गर्मी और सर्दी में बराबर दिख रहा है। 20 रुपये का सीरप बांग्लादेश पहुंच कर 200 रुपये का बिक जाता है। क्योंकि वहां शराब की बिक्री कम है।

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इसी तरह थोक विक्रेता 100 और फुटकर एक व्यक्ति को सिर्फएक ही दे सकता है।  इस तरह कुल 10 दवाएं चिन्हित कर उनके कंपनी के डिपो से सप्लाई, थोक, फुटकर बिक्री की सीमा निर्धारित कर दी गई है। एफएसडीए की टीम ने आगरा से नेपाल बॉर्डर तक के तार को जोड़ा तो कई चौकाने वाली जानाकरी मिली। नॉरकोटिक्स दवाओं का प्रयोग इलाज से कहीं ज्यादा नशे में होने के सबूत मिले हैं। हर दिन ड्रग इंस्पेक्टरों को प्रदेश मुख्यालय में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।ऐसे में चिन्हित दवाएं बिना पर्चे के न देने के नियम का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। 

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कोडीन आधारित कफ सीरप थोक में किसी कंपनी द्वारा 100 मिलीलीटर की शीशी 500 से अधिक न देने का निर्देश दिया गया है।  पिछले दिनों आगरा में पकड़े गए दवा कारोबारी का नेटवर्क भी नेपाल बॉर्डर तक मिला है। इसमें पुलिस और सशस्त्र सुरक्षा बल की भी मदद ली जा रही है। विभिन्न दवाओं की थोक और फुटकर बिक्री केलिए स्टॉक निर्धारण के पीछे भी नशे के नेटवर्क को तोड़ने की रणनीति है।दवा के नाम पर नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए कुछ दवाओं के स्टॉक निर्धारित कर दिए गए हैं। उन्हें रडार पर रखा गया है। पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं।  

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एफएसडीए के सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों गोरखपुर और वाराणसी क्षेत्र में पकड़ी गई दवाओं के बाद इस बात केपुख्ता सबूत मिले हैं कि उत्तर प्रदेश की दवाएं नेपाल और बिहार, पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश तक जाती हैं। कोडीनयुक्त सीरप, ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम, क्लोनाजेपॉम, डाइजापॉम, निट्राजेपॉम, पेंटाजोसिन, बूप्रेनारफिन आदि दवाएँ शामिल हैं। इन दवाएं की बिक्री के लिए कंपनी द्वारा आपूर्ति, थोक और फुटकर विक्रेता द्वारा आपूर्ति की मात्रा तय है। बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा देने पर पाबंदी है।


 

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