जबरन शादी के बाद अपनी पतियों की हत्या के आरोप में ईरान में तीन महिलाओं को दी गई फांसी

12 जुलाई को ईरान में ‘नो टू हिजाब कैंपेन(No To Hijab Campaign)’ चलाया गया
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12 जुलाई को ईरान की सरकार ‘हिजाब और शुद्धता(hijab and chastity)’ के नेशनल डे(National Day) के तौर पर मनाती है. राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने सरकारी एजेंसियों और संस्थानों को निर्देश दिए थे कि पूरे सप्ताह हिजाब का प्रचार-प्रसार किया जाए. ऐसे में ये कैंपेन इस दिन का प्रतीकात्मक विरोध था. इस कैंपेन में महिलाओं ने खुले सिर सड़कों पर पुरुषों के साथ उतरी थीं.

तेहरान - इस्लामिक देश ईरान (Iran) के एक एनजीओ(Non Government Organization) ने बताया है कि बीती 27 जुलाई को पतियों की हत्या के आरोप में एक साथ तीन महिलाओं को सरकार ने फांसी दी है. इन महिलाओं को कई साल पहले मौत की सजा सुनाई गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान(Iran) में इस साल अभी तक कम से कम 10 महिलाओं को मौत की सजा दी जा चुकी है. इन महिलाओं के अलावा बीते सप्ताह ईरान में 29 और लोगों को मौत के घाट उतारा गया. मानवाधिकार समूहों ने इसे लेकर चिंता व्यक्त है.

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खबरों के अनुसार जिन तीन महिलाओं को मारा गया उनके नाम सोहेला अबेदी, फरनाक बेहेश्ती और सेनोबार जलाली हैं. बताया जा रहा है कि अबेदी की 15 साल पहले जबरन शादी कराई गई थी. आरोप था कि अबेदी ने 10 साल बाद अपने पति की हत्या कर दी. अबेदी को पश्चिमी ईरान के सानंदाज शहर की एक जेल में फांसी दी गई. फरनाक बेहेश्ती को करीब 5 साल पहले अपने पति की हत्या का दोषी पाया गया था. बेहेश्ती को उत्तर-पश्चिमी ईरान(North-Western) के उर्मिया शहर के एक जेल में फांसी दी गई. वहीें सेनोबार को राजधानी तेहरान(Tehran) की जेल में मौत के घाट उतारा गया.

कई गैर सरकारी संगठन(NGO) और मानवाधिकार समूहों(Human Rights Groups) की रिपोर्ट्स में ये सामने आया है कि ईरान में इस्लामिक कानून है जोकि महिलाओं के खिलाफ हैं. घरेलू हिंसा जैसे मामलों की शिकार हुई महिलाएं तलाक तक लेने का अधिकार नहीं रखतीं. ये भी सामने आया है कि कम उम्र में लड़कियों की जबरन शादी करा दी जाती है. उनके साथ बुरा व्यवहार होता है. उन्हें शारीरिक और मानसिक उत्पीड़ित किया जाता है. ऐसे में कई बार महिलाएं परेशान होकर अपने पतियों पर हमला कर देती हैं. ईरान के मानवाधिकार समूह ईरान ह्यूमन राइट्स (Iran Human Rights) ने पिछले साल अक्टूबर में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 2010 और अक्टूबर 2021 के बीच ईरान में कम से कम 164 महिलाओं को फांसी दी गई.

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इस बीच महिलाओं के शोषण के खिलाफ समय-समय पर ईरान में विरोध प्रदर्शन भी होते रहते हैं. इन विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई महिलाएं करती हैं. खबरों के मुताबिक बीती 12 जुलाई को ईरान में ‘नो टू हिजाब कैंपेन(No To Hijab Campaign)’ चलाया गया. दरअसल 12 जुलाई को ईरान की सरकार ‘हिजाब और शुद्धता(hijab and chastity)’ के नेशनल डे(National Day) के तौर पर मनाती है. राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने सरकारी एजेंसियों और संस्थानों को निर्देश दिए थे कि पूरे सप्ताह हिजाब का प्रचार-प्रसार किया जाए. ऐसे में ये कैंपेन इस दिन का प्रतीकात्मक विरोध था. इस कैंपेन में महिलाओं ने खुले सिर सड़कों पर पुरुषों के साथ उतरी थीं. ये महिलाओं की आजादी की पैरवी कर रहे थे.

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