सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन में विश्व में भारत नंबर 5 पर

दुनिया भर में सौर व पवन ऊर्जा क्षमता को उसके पूरे विस्तार तक जानना एनर्जी ट्रांज़िशन की दिशा में हो रही प्रगति को मापने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है
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सोलर
कोयले के प्रयोग को रोकने के लिए तथा पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के उपयोग का महत्व बहुत ही बढ़ गया है सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत में विश्व के टॉप 3 देशों में जगह बना ली है यह अपने आप में एक उपलब्धि है इसी प्रकार सौर ऊर्जा में भी भारत टॉप 5 देशों में है यह अपने आप में एक उपलब्धि है

दिल्ली. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कोयले से चलने वाले संयंत्रों को बंद करने और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर हो रहे प्रयास फलीभूत होने लगे हैं। भारत इस दिशा में वैश्विक स्तर पर टाप-5 में शामिल हो गया है। सौर ऊर्जा के मामले में भाती तीसरे जबकि पवन ऊर्जा के मामले में पांचवे नंबर पर है। दुनिया भर के देश किस स्तर और किस रफ्तार से सौर एवं वायु ऊर्जा रूपांतरण की दिशा में काम कर रहे हैं।

ग्लोबल विंड पावर ट्रैकर (जीडब्ल्यूपीटी) 144 देशों में 13263 संचालित यूटिलिटी स्केल विंड फार्म फेसेज को अपने दायरे में लेता है, जिनसे 681.7 गीगावाट बिजली पैदा होती है। साथ ही इसमें 5233 अतिरिक्त प्रस्तावित परियोजनाएं भी शामिल हैं जिनसे 882 गीगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। सर्वाधिक क्रियाशील पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता की परियोजनाओं वाले देश इस प्रकार हैं :-

1. चीन (261.2 गीगावाट)

2. अमेरिका (127.3 गीगावाट)

3. जर्मनी (39.6 गीगावाट)

4. स्पेन (26.8 गीगावाट)

5. भारत (23.7 

ग्लोबल सोलर पावर ट्रैकर (जीएसपीटी) 148 देशों में 5190 संचालित सोलर फार्म फेसेज को अपने दायरे में लेता है जिनसे 289.7 गीगावाट बिजली पैदा होती है। साथ ही इसमें 3551 अतिरिक्त प्रस्तावित परियोजनाएं भी शामिल हैं जिनसे 651.6 गीगावाट बिजली का उत्पादन होगा। सर्वाधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की परियोजनाओं वाले देश इस प्रकार हैं

1.चीन (130.3 गीगावाट)

2. अमेरिका (43.4 गीगावाट)

3. भारत (29.0 गीगावाट)

4. वियतनाम (11.3 गीगावाट)

5. मेक्सिको (10.5 गीगावाट)

ग्लोबल एनर्जी मानिटर के ग्लोबल विंड पावर ट्रैकर की परियोजना प्रबंधक इनग्रिद बेहरसिन कहती हैं, “दुनिया भर में सौर व पवन ऊर्जा क्षमता को उसके पूरे विस्तार तक जानना एनर्जी ट्रांज़िशन की दिशा में हो रही प्रगति को मापने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इस डाटा से ही यह पता चल सकता है कि किस तरह से दुनिया के विभिन्न देश अक्षय ऊर्जा से संबंधित अपने ही लक्ष्यों के सापेक्ष काम कर रहे हैं।

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