पाकिस्तान ने 1200 साल पुराना हिंदू मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोला

मंदिर अवैध कब्जा हटा, आम लोगों के लिए खुला मंदिर
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डान अखबार के मुताबिक, इसके बाद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने एक सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जिसने सरकार को प्रस्ताव दिया था कि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाए, ताकि हिंदू समुदाय को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने पूरे देश में 400 हिंदू मंदिरों के पुनरुद्धार और उन्हें हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए खोलने की योजना बनाई है।

करांची.  पाकिस्तान में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हिंदुओं के लिए एक अच्छी खबर आई है। 1200 साल पुराना हिंदू मंदिर श्रद्धालुओं के लिए दोबारा से खोल दिया गया है। प्रशासन ने मंदिर को अवैध कब्जे से मुक्त करा लिया है। अब कोई भी श्रद्धालु मंदिर में दर्शनार्थ के लिए जा सकता है।एक ईसाई परिवार से लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इस मंदिर को खाली कराया गया। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की देखरेख की जिम्मेदारी संभाल रहे संघीय निकाय निष्क्रांत न्यास संपत्ति बोर्ड (ईटीपीबी) ने लाहौर के प्रसिद्ध अनारकली बाजार स्थित वाल्मीकि मंदिर का कब्जा पिछले महीने अपने हाथ में लिया। इस पर गत दो दशक से एक ईसाई परिवार का कब्जा था। कृष्ण मंदिर के अलावा वाल्मीकि मंदिर लाहौर का एकमात्र मंदिर है, जिसमें इस समय पूजा अर्चना हो रही है।

कब्जा करने वाला ईसाई परिवार दावा कर रहा था कि उसने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है और पिछले दो दशक से हिंदू धर्म के केवल वाल्मीकि जाति के लोगों को ही पूजा अर्चना की अनुमति दे रहा था। ईटीपीबी के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने बताया कि वाल्मीकि मंदिर का बुधवार को आधिकारिक उद्घाटन किया गया। इस मौके पर करीब एक सौ हिंदुओं के साथ-साथ कुछ सिख, ईसाई और मुस्लिम नेता मौजूद थे। हाशमी ने बताया कि हिंदू श्रद्धालुओं ने मंदिर पर कब्जा पाने के बाद से पहली बार उसमें धार्मिक अनुष्ठान किया और लंगर का आयोजन किया। 

इस मौके पर करीब एक सौ हिंदुओं के साथ-साथ कुछ सिख, ईसाई और मुस्लिम नेता मौजूद थे। हाशमी ने बताया कि हिंदू श्रद्धालुओं ने मंदिर पर कब्जा पाने के बाद से पहली बार उसमें धार्मिक अनुष्ठान किया और लंगर का आयोजन किया। प्रवक्ता ने कहा, ‘वाल्मीकि मंदिर का आने वाले दिनों में मास्टर प्लान के अनुरूप पूरी तरह से पुनरुद्धार किया जाएगा।’राजस्व रेकार्ड में मंदिर की जमीन को ईटीपीबी को हस्तांतरित कर दिया गया था, लेकिन ईसाई परिवार ने 2010-11 में संपत्ति पर कब्जे का दावा करते हुए दीवानी अदालत में मुकदमा दायर कर दिया था। परिवार ने मुकदमेबाजी के साथ-साथ सिर्फ वाल्मीकि हिंदुओं के लिए मंदिर में पूजा पाठ की अनुमति दी थी।

सारे सबूतों को अदालत में पेश किया गया, जिसके आधार पर अदालत ने झूठा मुकदमा करने के लिए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। 1992 में हथियारों के लैस भीड़ ने इस मंदिर पर हमला कर दिया था। मंदिर में रखी भगवान की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर लूटपाट की गई। भीड़ ने उस वक्त मंदिर को क्षतिग्रस्त किया था और उसमें आग लगा दी थी।

इसके बाद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने एक सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जिसने सरकार को प्रस्ताव दिया था कि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाए, ताकि हिंदू समुदाय को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने पूरे देश में 400 हिंदू मंदिरों के पुनरुद्धार और उन्हें हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए खोलने की योजना बनाई है।

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