बीबीसी की चौंकाने वाली रिपोर्ट, अफगानिस्तान में छापेमारी के दौरान जरा सा शक होने पर अफगानों को मार देती थी ब्रिटिश सेना

ब्रिटिश सेना के बारे में बीबीसी की चौंकाने वाली रिपोर्ट
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सेना
विशेष बलों के मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पैनोरमा को बताया, “रात की छापेमारी में बहुत से लोग मारे जा रहे थे और स्पष्टीकरण का कोई मतलब नहीं था। एक बार किसी को हिरासत में लेने के बाद उन्हें मारना नहीं चाहिए।” उन्होंने बताया कि “ऐसा बार-बार होने से मुख्यालय से चेतावनी जारी की जा रही थी उस चेतावनी में ये स्पष्ट था कि वहां कुछ गलत हो रहा है।”

दिल्ली.  अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना को लेकर एक बीबीसी की रिपोर्ट चर्चा का विषय बन गई है। दुनिया भर में इस रिपोर्ट की चर्चा हो रही है।बीबीसी की एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि ब्रिटेन की विशेष स्पेशल एयर सर्विस के कोर के कमांडोज ने संदिग्ध परिस्थितियों में 54 अफगानिस्तानियों की हत्या कर दी थी। कमांड की मिलिट्री चेन ने इस बात को छुपाए रखा था। चार साल की जांच में पाया गया लंबे युद्ध के दौरान जब रात में ब्रिटिश सैनिक छापेमारी करते थे तो इस दौरान एसएएस के जवानों को जिन अफगानों पर शक होता था वो उनकी हत्या कर देते थे और उनके शवों के पास हथियार रख देते थे ताकि ऐसा लगे कि अपना बचाव करने के लिए उन अफगानों को मारना पड़ा।

उस समय यूके के इन विशेष जवानों का नेतृत्व कर रहे जनरल मार्क कार्लेटन स्मिथ ने बताया कि उन्हें एसएएस के जवानों से अफगानिस्तानियों की हत्याओं के बारे में जानकारी हो चुकी थी लेकिन वो ऑर्मी पुलिस को इसकी रिपोर्ट नहीं कर पाए थे। बीबीसी ने बताया सशस्त्र बलों को नियंत्रित करने वाले ब्रिटेन के कानून के तहत एक कमांडिंग अधिकारी के लिए सैन्य पुलिस को सूचित करने में देरी एक अपराध है।

ब्रिटिश सेना के प्रमुख के पद से पिछले महीने रिटायर हुए कार्लेटन-स्मिथ ने बीबीसी कार्यक्रम पैनोरमा में इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया था। इसमें कहा गया था कि इस मामले की जांच अदालती दस्तावेजों लीक ईमेल और पत्रकारों की साइटों पर आधारित थी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान में ब्रिटेन की सेना के आचरण की पहले भी जांच हुई थी जिसमें आरोप लगाने के लिए सबूत पर्याप्त नहीं थे।

बीबीसी को दिए एक बयान में उन्होंने कहा,”कोई नया सबूत पेश नहीं किया गया है लेकिन अगर इस मामले में नए सबूत सामने आते हैं तो पुलिस किसी भी आरोप पर कार्रवाई करने का विचार करेगी।”

बीबीसी की पैनोरमा इन्वेस्टीगेशन जो मंगलवार को पूरी तरह प्रसारित हुई इसने नवंबर 2010 से लेकर मई 2011 तक हेलमंद प्रांत के छह महीने का दौरा जिसमें एसएएस की यूनिट ने संदिग्ध परिस्थितियों में 54 लोगों की गोली माकर हत्या कर दी थी। इस मामले में कार्रवाई के बाद सूत्रों से पता चला कि एसएएस यूनिट ने जब एनकाउंटर वो रिपोर्ट भेजी जिसमें मारे गए लोगों की जानकारी थी तो सभी अधिकारी आश्चर्यचकित थे क्योंकि इस रिपोर्ट के मुताबिक इस एनकाउंटर में किसी भी एसएएस सैनिक के घायल होने की भी खबर नहीं थी।

विशेष बलों के मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पैनोरमा को बताया, “रात की छापेमारी में बहुत से लोग मारे जा रहे थे और स्पष्टीकरण का कोई मतलब नहीं था। एक बार किसी को हिरासत में लेने के बाद उन्हें मारना नहीं चाहिए।” उन्होंने बताया कि “ऐसा बार-बार होने से मुख्यालय से चेतावनी जारी की जा रही थी उस चेतावनी में ये स्पष्ट था कि वहां कुछ गलत हो रहा है।”

जब अफगानिस्तान के घरों में जाकर देखा गया तो वहां पर गोली चलाए जाने के दीवारों पर निशान नहीं दिखाई दिए जिससे ये साबित हो रहा था कि एसएएस ने अफगानों को घुटनों के बल या फिर उन्हें जमीन पर लेटा कर उनकी हत्या की गई है। बीबीसी ने बताया एसएएस के जवानों को इस बात की कई बार चेतावनी दी गई थी लेकिन एसएएस दस्ते को अपने छह महीने के दौरे को पूरा करने की अनुमति मिल चुकी थी।

2014 में रॉयल मिलिट्री पुलिस ने अफगानिस्तान में ब्रिटिश सेना द्वारा 600 से अधिक कथित अपराधों की जांच शुरू की जिसमें एसएएस दस्ते द्वारा कई हत्याएं शामिल थीं। लेकिन आरएमपी जांचकर्ताओं ने बीबीसी को बताया कि ब्रिटिश सेना ने उन्हें जांच करने से बाधित किया था और जांच 2019 में बंद कर दी गई। कर्नल ओलिवर ली जो साल 2011 में अफगानिस्तान में रॉयल मरीन के कमांडर थे ने कार्यक्रम को बताया कि आरोप अप्रत्याशित रूप से चौंकाने वाले थे इसकी पब्लिक इन्क्वाइरी होने चाहिए थी। 

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