पूरी दुनिया को मिलेगी महंगाई से राहत! रूस-यूक्रेन में अहम मुद्दे पर वार्ता जारी

रूस और यूक्रेन के बीच इस साल फरवरी से ही युद्ध जारी है. रूस ने यूक्रेन के कई अहम ठिकानों पर कब्जा कर लिया है.

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रूस-यूक्रेन
रूस और यूक्रेन के बीच तुर्की के इस्तांबुल में अहम वार्ता जारी है और अगर यह बातचीत सफल होती है तो महंगाई से राहत मिल सकती है. दरअसल यूक्रेन की तरफ से अनाज के निर्यात पर करीब पांच महीनों से रोक लगी है. 

नई दिल्ली - पूरी दुनिया को महंगाई की समस्या से राहत मिल सकती है. दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच तुर्की के इस्तांबुल में अहम वार्ता जारी है और अगर यह बातचीत सफल होती है तो महंगाई से राहत मिल सकती है. दरअसल, दोनों ही देशों के राजनयिक संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और तुर्की के अफसरों की मौजूदगी में अनाज निर्यात पर लगे प्रतिबंधों पर चर्चा कर रहे हैं.

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि अनाज के मुद्दे पर चर्चा जारी है और बातचीत सैन्य अफसरों के जरिए की जा रही है. बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच इस साल फरवरी से ही युद्ध जारी है. रूस ने यूक्रेन के कई अहम ठिकानों पर कब्जा कर लिया है. इनमें काला सागर (ब्लैक सी) से जुड़े कई अहम ठिकाने शामिल हैं.

रूस ने यूक्रेन के कई अहम बंदरगाहों पर भी या तो कब्जा कर लिया है या फिर हमले जारी हैं. ऐसे में यूक्रेन की तरफ से अनाज के निर्यात पर करीब पांच महीनों से रोक लगी है. इसी गतिरोध को खत्म करने के लिए यूएन और तुर्की ने रूस-यूक्रेन के बीच बातचीत शुरू कराने पर जोर दिया है. दरअसल रूस की वजह से जो गतिरोध पैदा हुआ है, उसके चलते पूरी दुनिया में खाद्य सामग्रियों की महंगाई दर्ज की गई है.

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से ही कीव की ओर से निर्यात में बड़ा गतिरोध आया है. उधर रूस पर भी पश्चिमी देशों ने जबरदस्त प्रतिबंध लगाए हैं. जिसके चलते यूक्रेन के साथ रूस से निर्यात में भी कमी आई है. ज्यादातर देश रूस से सीधी खरीद करने से बच रहे हैं. ऐसे में खाद्य पदार्थों की महंगाई सबसे ऊंचे स्तर पर है.

बता दें कि यह दोनों ही देश अनाज निर्यात के मामले में पावरहाउस हैं. इन्हीं दोनों देशों से दुनिया की गेहूं की 24 फीसदी जरूरते पूरी होती हैं. इतना ही नहीं दुनिया की 57 फीसदी सुरजमुखी के तेल की जरूरत भी रूस-यूक्रेन ही पूरी करते हैं. यूएन कॉमट्रेड के मुताबिक, 2016 से 2020 तक यह दोनों देश दुनिया की 14 फीसदी भुट्टे के निर्यात के लिए भी जिम्मेदार थे.

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