हरियाणा में इस जगह बनाई थी मुगलों ने अपनी पहली इमारत, जानिए निर्माण से जुड़ी दिलचस्प बातें

काबुली बाग वास्तुकला का एक शानदार नमूना है, जो मुगल वास्तुकला के कलात्मक डिजाइन को प्रदर्शित करता है। इसे पानीपत की पहली लड़ाई के ठीक बाद साल 1526 के दौरान बनाया गया था। सजदा करने वाले लोग हमेशा इस जगह पर रोजाना आते-जाते रहते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि ये ऑरिजनल बाबरी मस्जिद है। इस स्मारक की वास्तुकला को तैमूर वास्तुकला कहा जाता है, जो मध्य एशियाई में काफी इस्तेमाल की जाती थी।
पानीपत शहर में बना काबुली बाग वास्तुकला का एक शानदार नमूना है, जो मुगल के कलात्मक डिजाइन को प्रदर्शित करता है। इसे पानीपत की पहली लड़ाई के ठीक बाद साल 1526 के दौरान बनाया गया था। सजदा करने वाले लोग हमेशा इस जगह पर रोजाना आते-जाते रहते हैं। कुछ लोगों के मुताबिक इस स्मारक की वास्तुकला को तैमूर वास्तुकला कहा जाता है, जो मध्य एशियाई में काफी इस्तेमाल की जाती थी। इस मस्जिद में दोनों तरफ दो कोठरियां हैं, जिनपर आपको फारसी शिलालेख उकेरे हुए दिख जाएंगे। मस्जिद का मुख्य हॉल चूने से बनाया गया है और इसके किनारों पर उपभवन भी डिजाइन किए गए हैं।
काबुली बाग मस्जिद खूबसूरत चार चौथाई बगीचों से घिरी हुई है। ऐसा माना जाता है कि बाबर को बगीचों का बहुत शौक था और वो हमेशा अपने द्वारा बनवाए गए स्मारकों के साथ एक बाग बनाना पसंद करते था। यहां भी उन्होंने मस्जिद के चारों ओर सुंदर गार्डन बनवाए थे। बगीचे को बेहद खूबसूरती से डिजाइन कर सुंदर पौधे और पेड़ लगे हुए हैं। यहां की कलात्मक डिजाइन उन लोगों को बेहद सुकून देती है, जो यहां कुछ समय शांति से बैठने के लिए आते हैं। हरी घास से घिरा गार्डन बेहद शानदार लगता है।
मुगल काल की राजसी वास्तुकला को देखने के लिए दुनिया भर से कई पर्यटक इस स्थान पर घूमने के आते रहते हैं। आपको बता दें कि ये बाबर द्वारा निर्मित पहली स्मारक है। उसके बाद मुगलों द्वारा कई स्मारकों का निर्माण किया गया, लेकिन भारत में उनकी पहली जीत के रूप में ये स्मारक हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है।
मुगल सम्राट की आगे की पीढ़ियों ने कई विकास किए। जब हुमायूं ने पानीपत के पास एक युद्ध में सलीम शाह को हराया, तो उन्होंने इस शानदार जगह के पास एक चबूतरा बनवाया, जिस पर फतेह मुबारक लिखा हुआ था। ये शब्द युद्ध में जीत के लिए महत्वपूर्ण पहलू को दर्शाता है। इसे 1527 ई. के दौरान बनाया गया था। इस मंच को बाद में पानीपत के लोगों द्वारा चबूतरा-ए-फतेह मुबारक कहा जाने लगा। बता दें कि ये मस्जिद अब खंडहर की और जा रही है, जिसे देखने के बाद आपको शायद इमारत को लेकर अफसोस हो सकता है।
काबुली बाग मस्जिद मुख्य शहर से सिर्फ 2 किमी दूर स्थित है। इसलिए, लोग ऑटो रिक्शा किराए पर ले सकते हैं या यहां तक पहुंचने के लिए प्राइवेट टैक्सी ले सकते हैं। यात्रियों को अपने प्राइवेट वाहनों से पहुंचने के लिए सनोली रोड से जाना पड़ता है। पानीपत के किसी भी हिस्से से काबुली बाग मस्जिद तक पहुंचना बेहद आसान है। ऐसे में मुगल काल की हरियाणा में बनी पहली इमारत देखकर आप इतिहास के पन्नों को बखूबी जान सकते हैं।