ग़रीब रिक्शा चालक ने बेटी ने मिसाल कायम की, अभावों के बीच 10वीं में 96 फ़ीसदी नम्बर हासिल किए

कोरोना काल मे मां ने लोगों के कपड़े धोकर व प्रेस करके घर चलाया
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suhani shakrwal
सुहानी ने आगे बताया कि वह कॉमर्स लेना चाहती है क्योंकि उसके चाचा का बेटा चार्टर्ड अकाउंटेट(Charted Accountant) है। वह उनसे प्रेरित है।

जयपुर: वैसे तो हमारे पुरूष प्रधान समाज में लड़कियों को पढ़ने के अवसर कम ही मिलते हैं। लेकिन अगर उन्हें मौका मिले तो वे मिशाल कायम कर देती हैं। एक ऐसी ही कहानी राजस्थान शिक्षा बोर्ड के 10वीं के रिजल्ट के बाद सामने आई है। जहां एक ग़रीब व दलित परिवार के बेटी ने राजस्थान शिक्षा बोर्ड(RBSE 10th Result) में 96 फीसदी नम्बर प्राप्त किये हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में ऑटो चालक की बेटी सुहानी शक्रवाल(Suhani Shakrwal) ने दिखा दिया है कि अगर मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल करना हो तो ग़रीबी या संसाधनों की कमी आड़े नहीं आती। सुहानी शक्रवाल ने 10वीं कक्षा में 96 फीसदी नम्बर हासिल कर अपने स्कूल व परिवार का नाम रोशन किया है। शिक्षा के क्षेत्र में चमकती एक गरीब की बेटी सितारा बन कर उभरी है। सुहानी शक्रवाल के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते स्कूल ने मुफ्त पढ़ाई दी है और इस बेटी ने मिशाल कायम की है।

जानकारी के मुताबिक सुहानी के पिता राजेश शक्रवाल जयपुर में ऑटो चलाते हैं। 15 साल की दलित व बीपीएल(Below Poverty Line) परिवार की बेटिया सुहानी जयपुर के सी-स्कीम(C Scheme Area) में श्री केसीजे गुजराती समाज हिन्दी मीडियम स्कूल में पढ़ती है। सुहानी के माता-पिता दोनों ही अनपढ़ हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। सुहानी ने बताया कि उसने रोजाना 5-6 घंटे पढ़कर यह मुकाम हासिल किया है। जबकि उसके पास खुद का मोबाइल नहीं है।

आईएएस(IAS) बनना चाहती है सुहानी

सुहानी ने बताया कि वह अपनी मां के मोबाइल से अपनी पढ़ाई में सामने आने वाली समस्याओं का समाधान ढूंढती थी। उसने कोरोना संकट में ऑनलाइन पढ़ाई की। लेकिन कभी भी अपनी मां के मोबाइल का गलत उपयोग नहीं किया। सुहानी ने आगे बताया कि वह कॉमर्स लेना चाहती है क्योंकि उसके चाचा का बेटा चार्टर्ड अकाउंटेट(Charted Accountant) है। वह उनसे प्रेरित है। सुहानी का कहना है कि उसका सपना है कि वह सीए(CA) क्लियर करे ताकि एक प्रोफेशनल डिग्री उसके हाथ में आ जाये। उसके बाद वह यूपीएससी(UPSC Exam) का एग्जाम क्लियर कर आईएएस बनना चाहती है।

बेटी अपने कदमों पर खड़ी होगी तभी शादी करेंगे

मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुहानी का परिवार जयपुर में सी-स्कीम की विनोबा नगर बस्ती(Vinoba Nagar Basti) में रहता है। सुहानी के पिता राजेश के कंधों पर भी छोटी उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारियां आ गई थी। पिता का देहांत हो जाने के कारण परिवार को संभालना था। राजेश की 17-18 साल की उम्र में पिंकी से शादी हो गई थी। बदलते समय के साथ चलने वाले राजेश कहते हैं कि वे अपनी बेटियों की शादी तभी करेंगे जब वे कोई मुकाम हासिल कर अपने पैरों खड़ी हो जायेंगी। परिवार में सुहानी के एक भाई है जोकि अभी प्राइमरी क्लास में पढ़ रहा है। राजेश खुद अपनी बेटी को ऑटो से स्कूल छोड़ने और लाने जाते हैं।

स्कूल ने ट्यूशन फीस(Tuition fee) शुरू से माफ कर रखी है

वहीं सुहानी शक्रवाल के स्कूल के प्रिंसिपल देवेन्द्र कुमार वाजा ने बताया कि उसकी इस उपलब्धि पर उसका और उसके परिवार का स्कूल की ओर से अभिनंदन किया गया है। सुहानी के परिवार की अर्थिक हालत खराब देखते हुये स्कूल ने मानवीय आधार पर गर्ल्स एजुकेशन(Girls Education) को प्रोत्साहित करते हुये सुहानी और उसकी बड़ी बहन इशिका की ट्यूशन फीस शुरू से माफ कर रखी है। उन्होंने बताया कि सुहानी नर्सरी क्लास(Nursery Class) से ही इस स्कूल में पढ़ रही है।

मां भी चाहती हैं कि बेटियां खूब पढ़े लिखे

सुहानी की सफलता से खुश उसकी मां पिंकी कहती हैं कि बेहद अभावों के बीच बिटिया ने मुकाम पाया है। कोरोना महामारी(Covid Period) में ऑटो भी बंद हो गया जिससे घर का खर्च चलना मुश्किल हो गया था। ऐसे ने सुहानी ने मां ने लोगों के कपड़े धोकर और प्रेस करके घर चलाया। उससे हुई आमदनी से घर भी चलाया और बच्चों को भी पढ़ाया। सुहानी की मां पिंकी की इच्छा है कि उसकी बेटियां उसकी तरह न रहे। वे पढ़ लिखकर काबिल बने और ख़ूब तरक्की करें।

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