सेब कार्टन पर GST वापस करने की मांग: बागवानों जेल भरो आंदोलन 17 अगस्त को

10 दिन में मांगे पूरी नहीं होने पर बागवान गिरफ्तारियां देकर आंदोलन को उग्र करेंगे

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 किसान-बागवानों पर भी जीएसटी का हंटर चलाया है। सेब समेत अन्य फलों को मंडी पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कार्टन और ट्रे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। साथ ही फसल उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली खादों, कीटनाशकों और फफूंदनाशकों में अनुदान देने के बजाय इनकी कीमतों में भारी बढ़ोतरी की है।
किसान-बागवानों पर भी जीएसटी का हंटर चलाया है। सेब समेत अन्य फलों को मंडी पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कार्टन और ट्रे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। साथ ही फसल उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली खादों, कीटनाशकों और फफूंदनाशकों में अनुदान देने के बजाय इनकी कीमतों में भारी बढ़ोतरी की है।

शिमला -  संयुक्त किसान मंच की शिमला में देर रात तक चली बैठक में निर्णय लिया गया कि 10 दिन में मांगे पूरी नहीं होने की सूरत में बागवान गिरफ्तारियां देकर आंदोलन को उग्र करेंगे।संयुक्त किसान मंच के बैनर तले आठ अगस्त को ब्लाक स्तर पर बैठकें कर जेल भरो आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। । 16 अगस्त तक मांगे पूरी नहीं होने पर बागवान 17 अगस्त को जेल भरने की बात कह रहे हैं।सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने बताया कि 1990 के बाद बागवान पहली बार सड़कों पर आया है। इसके लिए उन्हें मजबूर किया गया है। मुख्य सचिव आरडी धीमान के साथ बैठक हुई। इसमें सरकार ने मांगे पूरा करने के लिए 10 दिन का समय मांगा है। हालांकि मुख्य सचिव ने सैद्धांतिक तौर पर कुछ मांगे जरूर मान ली है, लेकिन ज्यादातर मांगों पर अभी सहमति नहीं बन पाई है।

 किसान-बागवानों पर भी जीएसटी का हंटर चलाया है। सेब समेत अन्य फलों को मंडी पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कार्टन और ट्रे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। साथ ही फसल उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली खादों, कीटनाशकों और फफूंदनाशकों में अनुदान देने के बजाय इनकी कीमतों में भारी बढ़ोतरी की है।

अब बागवान अपनी मांगे पूरी नहीं होने तक पीछे नहीं हटेगा। इसके लिए चाहे उन्हें कितना भी लंबा आंदोलन न लड़ना पड़े। संयुक्त किसान मंच के बैनर तले 27 संगठन जेल भरो आंदोलन की तैयारियों में जुट गए हैं। इसके लिए गांव, पंचायत व ब्लाक स्तर पर बैठकें कर रणनीति बनाई जाएगी।यदि सरकार गंभीर होती तो कल के सचिवालय के घेराव के दौरान मुख्यमंत्री खुद बागवानों से मिलकर राहत देने की बात करते। उन्होंने कहा कि बागवान एक महीने से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन राज्य के बागवानी मंत्री भूमिगत है। उन्होंने एक बार भी बागवानों से बात करना उचित नहीं समझा है।

 किसान-बागवानों पर भी जीएसटी का हंटर चलाया है। सेब समेत अन्य फलों को मंडी पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कार्टन और ट्रे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। साथ ही फसल उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली खादों, कीटनाशकों और फफूंदनाशकों में अनुदान देने के बजाय इनकी कीमतों में भारी बढ़ोतरी की है।

सेब उत्पादक संघ ठियोग के अध्यक्ष महेंद्र वर्मा ने बताया कि हिमाचल सरकार 5000 करोड़ रुपए के सेब उद्योग को लेकर कतई गंभीर नजर नहीं आ रही। जिला शिमला (ग्रामीण) कांग्रेस अध्यक्ष अतुल शर्मा ने बताया कि कांग्रेस पार्टी भी बागवानों के इसी मुद्दे को लेकर विधानसभा का घेराव करेगी। उन्होंने बताया कि कृषि इनपुट पर GST लगाने और कृषि उपकरणों पर उपदान खत्म करने से इनपुट कॉस्ट दोगुना हो गई है।


 

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