लंपी स्किन डिजीज को नियंत्रित करने के लिए कोरोना महामारी की तरह मिशन मोड पर हरियाणा सरकार

चंडीगढ़ - हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़(Chandigarh) में वीरवार, 25 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य के पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि लंपी स्किन बीमारी (LSD) से घबराने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है.
मनुष्यों में एलएसडी(Lumpy Skin Disease) वायरस के संक्रमण के संबंध में अफवाहों को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालकों को इस बीमारी से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि यह बीमारी मनुष्यों में नहीं फैलती है. इसलिए बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले पशुपालकों के लिए डरने की कोई बात नहीं है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की तरह हरियाणा एलएसडी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है. एलएसडी के नियंत्रण के लिए हर स्तर पर वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. अब तक 2 लाख 45 हजार 249 गौवंश को इस रोग से बचाव के लिए गोट पोक्स वैक्सीन(Goat Pox Vaccine) लगाया जा चुका है. इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें की जा रही हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि LSD(Lumpy Skin Disease) के नियंत्रण के लिए पशुओं का अधिक से अधिक वैक्सीनेशन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने व्यापक अभियान शुरू किया है. इसके तहत पशुओं का मुफ्त वैक्सीनेशन किया जा रहा है. लगभग 20 लाख पशुओं का वैक्सीनेशन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से मृत्यु दर बहुत कम अर्थात केवल 1 से 5 प्रतिशत है. विशेषकर उन पशुओं को अधिक खतरा है जो पहले से ही अन्य रोगों से ग्रस्त हैं. बीमारी की शुरुआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है.
मुख्यमंत्री(Haryana CM Manohar Lal Khattar) ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 3 हजार 497 गांवों तक 52 हजार 544 पशु इस बिमारी से ग्रस्त हुए. इनमें से 29 हजार 104 पशु स्वस्थ हो चुके हैं. अब तक 633 पशुओं की मृत्यु हो चुकी है. उन्होंने बताया कि प्रदेश की 286 गौशालाओं में 7938 गौवंश इस बीमारी से ग्रस्त हैं. इनमें से 126 गौवंश की मृत्यु हो चुकी है. मृत्यु का प्रतिशत 1.2 प्रतिशत है.
मुख्यमंत्री ने एलएसडी बिमारी की रोकथाम के लिए पशुपालकों को फोगिंग करवाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की भी सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारक हैं. इसलिए पशुपालक सफाई का विशेष ध्यान रखें. उन्होंने कहा कि प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए ग्वालों द्वारा पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने पर रोक लगाई गई है. इसके अलावा, पशु मेलों और पशुओं की बिक्री पर भी रोक लगाई गई है. सभी गौशालाओं और गांवों में मक्खियों व मच्छरों के नियंत्रण के लिए फोगिंग करवाई जा रही है. उन्होंने कहा कि मृत पशुओं को 8 से 10 फुट की गहराई में दबाने के निर्देश दिये गये हैं.