नैनो यूरिया से बदलेगी किसानो की तकदीर मिट्टी की सेहत में भी होगा सुधार
नैनो यूरिया से खेती में आएगी क्रांति, मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी इसे लाना ले जाना भी बेहद आसान होगा

दिल्ली. आज के दौर में जब परंपरागत यूरिया के अधिक प्रयोग से मिट्टी की सेहत खराब होने पर किसान से लेकर सरकार चिंतित हैं। आत्मनिर्भर भारत के तहत ऐसे में उत्पादन और धरती की सेहत को देखते हुए नैनो यूरिया (तरल) खेती में क्रांति लाने वाला है। शनिवार को देश के विभिन्न स्थानों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात के गांधीनगर में कलोल स्थित नैनो यूरिया (तरल) के निर्माण संयंत्र के लोकार्पण लोकार्पण का लाइव प्रसारण देखने के लिए किसानों में उत्सुकता थी। पीएम मोदी ने यूरिया के लाभ गिनाकर उनका दिल जीता तो वहीं यूरिया खरीदने के लिए होने वाली परेशानियों का जिक्र किया और नैनो यूरिया के लाभ बताए। लाइव प्रसारण देखने के बाद किसानों ने जमकर सराहना की।
यहां मिलेगा
जल्द ही यह इफको के सभी आईएफएफसी केंद्रों, एग्री जंक्शन केंद्रों, सभी सहकारी समितियों, पीसीएफ सेवा केंद्र पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेगी।
किसानों को 500 मिलीलीटर की बोतल 240 रुपये में उपलब्ध हैं। एक बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर उपयोगी है। परंपरागत यूरिया से होने वाले मृदा प्रदूषण में कमी आएगी। साथ ही बिना उपज प्रभावित किए यूरिया या अन्य नाइट्रोजनयुक्त उवर्रकों की मात्रा में कटौती होगी। साथ ही इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी ले सकेंगे। किसानों को भी परिवहन पर अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा।
ऐसे करें प्रयोग
नैनो यूरिया की 2-4 मिली मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल में छिड़काव करें। नाइट्रोजन की कम आवश्यकता वाली फसलों में चार मिली लीटर तक नैनो यूरिया प्रति लीटर की दर से पत्तियों पर छिड़काव किया जा सकता है।
बोले किसान
पहले पांच बीघा खेत के लिए एक बोरा खाद की जरूरत पड़ती थी। अब एक बीघा खेत के लिए आधा लीटर नैनो यूरिया की जरूरत पड़ेगी। साथ ही खेत में डालने से मिट्टी की सेहत अच्छी रहेगी।
पहले यूरिया 270 रुपये का बोरा ले जाने के लिए भाड़ा देना पड़ता था। अब नैनो यूरिया 240 को थैले में डाल कर ले जा सकते हैं। इससे किसानों को पाने के लिए लाइन में नहीं लगना पड़ेगा।