टिकैत बोले- मंडियों की खाली जमीन बेचने पर तूली सरकार
कहा- किसान आंदोलन के बाद भी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं

हनुमानगढ़- हनुमानगढ़ जंक्शन की धानमंडी में हुई किसान महापंचायत को संबोधित करने पहुंचे टिकैत । संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि कृषि कानूनों के खिलाफ करीब 13 महीने चले किसान आंदोलन के बाद भी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं है। दिसम्बर 2021 में किसान आंदोलन सरकार को यह कहकर स्थगित किया था कि किसानों को एमएसपी की गारंटी चाहिए। तब सरकार ने कमेटी बनाकर समस्या के निराकरण के लिए मोर्चा से समय मांगा था। मोर्चा की मांग सिर्फ इतनी है कि किसान की ओर से पैदा की जाने वाली सभी 400 फसलों के दाने-दाने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हो, चाहे सरकार खरीदे या बाजार। उसकी तरक्की-उन्नति होगी, लेकिन आज कुछ और हो रहा है।
किसान आंदोलन के बाद भी किसानों को बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। इतने बड़े आंदोलन के बाद भी हालातों में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। सरकारों की नीयत ठीक नहीं है। अगर दिल्ली का आंदोलन नहीं होता तो अब तक यह मंडियां बिकने की लाइन में चली जाती। टिकैत ने कहा कि राजस्थान में सिंचाई पानी की समस्या है। पानी व्यर्थ जा रहा है। जब जरूरत होती है तब फसलों को पानी नहीं मिलता। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके लिए कानून में सजा का प्रावधान हो।
जुर्माना हो। तभी जाकर किसान बचेगा।उन्होंने कहा कि सरकार इस व्यवस्था को ठीक करने की बजाए किसान को मार रही है। जो गेहूं 18 रुपए में किसान से लिया जाता है उसी गेहूं का आटा 40 रुपए में बेचा जा रहा है। दो रुपए की सब्जी लेकर 20 रुपए में बेची जा रही है। सरकार धोखे में रखकर कह रही है कि मंडी के बाहर फसल की खरीद अच्छी होती है। टिकैत ने कहा यही हालात पूरे देश में होने वाले हैं। बिहार में कृषि कानून 17 साल पहले लागू हो गया था। वहां तब मंडियां खत्म हो गई थीं। सरकार मंडियों की खाली जगह को बेचना चाहती है। मंडी से बाहर खरीद पर सरकार सहूलियत दे रही है, लेकिन मंडी में नहीं दे रही।
फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का बड़ा सवाल है।आठ-आठ दिन तक किसान मंडी में फसल लेकर खड़ा रहता है, लेकिन तुलाई नहीं होती है। अगर वह मंडी से बाहर बेचता है तो हाथोंहाथ फसल की खरीद हो जाती है। मोर्चा के नेता पूरे देश में जा रहे हैं। एमएसपी गारंटी कानून की मांग की जा रही है। इसका मकसद सिर्फ यही है कि सरकारें मंडी सेक्टर को तोड़ना चाहती हैं फसल को उसका उचित भाव नहीं मिल पा रहा। इसलिए किसानों-मजदूरों और व्यापारियों को जागरूक होकर आंदोलन में आना पड़ेगा। उसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने जनजागरण अभियान चलाया है।