मैं उस व्यक्ति नफरत करूंगा जो 2047 में विदेश मंत्री होगा: विदेश मंत्री जयशंकर 

गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान 2047 के भारत पर बात करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने दिया  बयान 
 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत को आत्मविश्वास दिखाना चाहिए। आत्मविश्वास की कमी हमारी आदतों के कारण है जो हमें बांधे रखती है। 

अहमदाबाद- विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने गुजरात में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान इन्होंने भारत 2024 में कैसा होगा इसको लेकर बात कर रहे थे।  इस दौरान 2047 के भारत पर बात करते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा - नरेंद्र मोदी सरकार का विदेश मंत्री होना भी एक बड़ी ताकत है। ले किन  मैं उस व्यक्ति से ईर्ष्या करूंगा जो 2047 में विदेश मंत्री होगा। दरअसल, जयशंकर ने यह बयान इसलिए दिया क्योंकि पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि 2047 में भारत विकसित देश बन जाएगा ।

उन्होंने कहा कि पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत को आत्मविश्वास दिखाना चाहिए। । जयशंकर ने कहा, "अब तक, जब भी हम महासागरों के बारे में सोचते हैं, हम हिंद महासागर के बारे में सोचते हैं। यह हमारी सोच की सीमा है कि जब भी हम सुमुद्री हित के बारे में बात करते हैं तो हम हिंद महासागर के बारे में बात करते हैं।" विकसित देश का विदेश मंत्री होना अपने-आप में बड़ी बात है। बता दें कि जयशंकर की किताब 'द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीज फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड' के गुजराती अनुवाद का विमोचन करने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में समारोह आयोजित किया गया था। 

भारत में जनसंख्या नियंत्रण पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि भारतीय जनसंख्या की वृद्धि दर गिर रही है, इसका कारण शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और समृद्धि है। लेकिन कुछ दिन पहले हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए। 20वें नंबर और 5वें नंबर किसी की सोच समान नहीं हो सकती है। हमें अपनी क्षमता के अनुसार बदलना चाहिए। हम में से प्रत्येक के बीच परिवार का आकार, समय बीतने के साथ छोटा हो रहा है। जबरन जनसंख्या नियंत्रण के बहुत खतरनाक परिणाम हो सकते हैं, यह लिंग असंतुलन पैदा कर सकता है। विदेश मंत्री ने कहा, हम उस स्तर पर पहुंच गए हैं जहां हमें अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए जितना हो सके सभी के साथ संबंध बनाए रखना चाहिए क्योंकि आगे बढ़ने के लिए भारत की प्रगति एक तरह से हमारे लिए मानदंड बन जाती है।  हिंद प्रशांत दुनिया में चल रही एक नई रणनीतिक अवधारणा है।