सिद्धारमैया बोले- हर घर तिरंगा अभियान नाटक और पीएम मोदी महान नाटककार

सिद्धारमैया का आरोप- 52 वर्षों तक नागपुर में आरएसएस मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया

 
भाजपा के 'हर घर तिरंगा' अभियान को 'नाटक' बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा वैचारिक नेताओं वी.डी.सावरकर, एम.एस. गोलवलकर और आरएसएस के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' ने तिरंगे का विरोध किया था। हमें उन्हें बेनकाब करना चाहिए।

बेंगलुरु - कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष नेता सिद्धारमैया ने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान आरोप लगाया किलगभग 52 वर्षों तक महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया। वहीं आरएसएस, भाजपा, हिंदू महासभा, हिंदू जागरण वेदिक और बजरंग दल जैसे सभी संघ परिवार के संगठन ऐसी जाति व्यवस्था और विचारधारा में विश्वास करते हैं।

कांग्रेस नेता ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में भाजपा और आरएसएस के योगदान पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान और संविधान का विरोध किया था। उन्होंने केंद्र सरकार के 'हर घर तिरंगा' अभियान को एक 'नाटक' और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'महान नाटककार' बताया। उन्होंने कहा कि वे देशभक्त कैसे हो सकते हैं?कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  को 'उच्च जातियों का संघ' करार दिया।

भाजपा के 'हर घर तिरंगा' अभियान को 'नाटक' बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के  वैचारिक नेताओं वी.डी.सावरकर, एम.एस. गोलवलकर और आरएसएस के मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' ने तिरंगे का विरोध किया था। हमें उन्हें बेनकाब करना चाहिए।उन्होंने आगे भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मनाने का आह्वान किया।सिद्धारमैया ने कहा, मैं शुरू से ही आरएसएस का विरोध करता रहा हूं क्योंकि यह सिर्फ ऊंची जातियों का संघ है, यही कारण है कि वे जाति व्यवस्था में विश्वास करते हैं।

उन्होंने कहा कि वे देशभक्त कैसे हो सकते हैं? आरआरएस  चतुर्वर्ण व्यवस्था उच्च जातियों के वर्चस्व में विश्वास करती है, अगर यह व्यवस्था जारी रहती है तो इससे असमानता होगी जो शोषण का कारण बन सकती है। कांग्रेस नेता ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में भाजपा और आरएसएस के योगदान पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान और संविधान का विरोध किया था।