पत्नि की हत्या के आरोप में पति 12 साल तक रहा जेल की सलाखों के पीछे, अब कोर्ट ने कहा "आप बेकसूर हैं"

बाद में मुख्य गवाह कोर्ट में मुकर गया
 
हाईकोर्ट ने कहा कि न तो कानून के मुताबिक कुछ भी साबित होता है और न ही यह माना जा सकता है कि बरामद की गई बांस की छड़ी का इस्तेमाल सुरेश भगत की मृत पत्नी पर हमला करने के लिए किया गया था।

मुंबई: महाराष्ट्र में पत्नी की हत्या के मामले में जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे एक व्यक्ति को कोर्ट ने बरी कर दिया है। महाराष्ट्र के पालघर जिले के डहाणू (Dahanu) इलाके के रहने वाले एक शख्स पर साल 2010 में अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा था। जिसके चलते पालघर जिला अदालत (palghar district court) ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अब बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने उस शख्स को सबूतों के अभाव में बा-इज्ज़त बरी कर दिया है।

मीडिया में जानकारी के मुताबिक 18 अक्टूबर 2010 को लक्ष्मण भोए नाम के शख्स ने पालघर के कासा थाने में डहाणू के सुरेश भगत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। लक्ष्मण भोए ने शिकायत में कहा था कि पिछली रात सुरेश भगत ने अपनी पत्नी ललिता भगत की हत्या कर दी। एफआईआर के मुताबिक लक्ष्मण भोए ने कहा था कि जब वह मौके पर पहुंचे तो उन्होंने सुरेश को खून से लथपथ पड़ी पत्नी की लाश के पास बैठे देखा। जांच में पुलिस ने मौके से बांस का एक डंडा भी बरामद किया था।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लक्ष्मण भोए ने दावा किया था कि पूछताछ के बाद आरोपी सुरेश भगत ने उन्हें बताया था कि जब वह घर लौटा और दरवाजा खटखटाया, तो उनकी पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला। जिससे वह खिड़की से घर में घुसे और पत्नी को गहरी नींद में पाया। जिसके बाद उसने पत्नी के सिर और पीठ पर वार किया। लेकिन अगली सुबह उसने पाया कि उसकी पत्नी मर चुकी थी।

हत्या के आरोप में सुरेश भगत के खिलाफ कासा पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद चार्जशीट दाखिल की। लेकिन गवाह लक्ष्मण भोए ने कोर्ट के सामने आरोपी द्वारा किए खुलासे के बारे में बयान नहीं दिया। जिसके चलते पुलिस ने गवाह को होस्टाइल घोषित किया।

क्यों बरी किया हाईकोर्ट ने

बताया जा रहा है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुरेश भगत को इसीलिए बरी कर दिया क्योंकि इस केस के एकमात्र गवाह लक्ष्मण भोय ने जो एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल कन्फेशन(Extra Judicial confession) की थी वह अब मुकर गया है। एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल कन्फेशन वो इकबालिया बयान होते हैं जो आरोपी ने मजिस्ट्रेट या कोर्ट की बजाए कहीं और दिए हों। 

इस मामले में जस्टिस साधना एस. जाधव और जस्टिस मिलिंद एन. जाधव ने कहा,"जहां तक ​​अतिरिक्त न्यायिक स्वीकारोक्ति का सवाल है, इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि जिस व्यक्ति के सामने कथित तौर पर यह स्वीकारोक्ति की गई थी, वह अपने पहले वाले बयान से ही मुकर गया और अभियोजन पक्ष ने उसे पक्षद्रोही गवाह (hostile witness) घोषित कर दिया।"

हाईकोर्ट ने कहा कि न तो कानून के मुताबिक कुछ भी साबित होता है और न ही यह माना जा सकता है कि बरामद की गई बांस की छड़ी का इस्तेमाल सुरेश भगत की मृत पत्नी पर हमला करने के लिए किया गया था। अदालत ने कहा कि इस तथ्य को छोड़कर कि मृतका की लाश आरोपी के घर में पाया गयी थी। इसके अलावा कोई और सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी सुरेश ने अपनी पत्नी को चोट पहुंचाई थी।