महिला के पेट में ड्रेन पाइप में आया फ्रैक्चर; भरना होगा 6.5 लाख हर्जाना

चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में चिकित्सीय लापरवाही बरतने का मामला
 
राज्य उपभोक्ता आयोग, चंडीगढ़ ने अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट समेत 2 सर्जन के अपीलीय केस को रद्द करते हुए हर्जाना भरने को कहा है। मामले में शिकायतकर्ता उषा वर्मा थीं। वह हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की रहने वाली हैं। इलाज में लापरवाही बरतने के चलते उनके पेट में ड्रेन पाइप में फ्रैक्चर आ गया था। महिला ने जिला उपभोक्त आयोग में शिकायत दर्ज कराई

चंडीगढ़- चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल(GMSH-16) को चिकित्सीय लापरवाही बरतने के मामले में उपभोक्ता आयोग ने 6.5 लाख रुपए हर्जाना भरने को कहा है। एक महिला के गाल ब्लेडर को हटाने की सर्जरी के दौरान यह लापरवाही बरती गई थी।मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग, चंडीगढ़ ने अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट समेत 2 सर्जन के अपीलीय केस को रद्द करते हुए हर्जाना भरने को कहा है। मामले में शिकायतकर्ता उषा वर्मा थीं। वह हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की रहने वाली हैं। इलाज में लापरवाही बरतने के चलते उनके पेट में ड्रेन पाइप में फ्रैक्चर आ गया था। महिला ने जिला उपभोक्त आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

जिला उपभोक्ता आयोग ने मामले में डॉक्टर्स को लापरवाही का जिम्मेदार पाया। शिकायतकर्ता को हुई मानसिक प्रताड़ना के रूप में 4 लाख रुपए हर्जाना भरने के आदेश दिए गए। वहीं 2 लाख रुपए हर्जाना और 50 हजार रुपए अदालती खर्च के रूप में अलग से देने को कहा गया। इस फैसले के खिलाफ अस्पताल ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की थी, जिसे रद्द कर दिया गया है।

17 अक्तूबर 2015 को ऊषा का गाल ब्लेडर निकालने के लिए लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया शुरू की गई थी। यह डॉक्टर डाबर ने की थी, जो मौजूदा समय में पंचकूला सेक्टर-6 सरकारी अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ सर्जरी में हैं। दूसरे डॉक्टर कुलबीर बल थे। सर्जरी के दौरान अतिरिक्त खून और फ्लूड को ड्रेन करने के लिए स्टैंडर्ड सर्जिकल ड्रेन पाइप पेट में डाली गई। इसका आकार 4MM चौड़ा तथा 152CM लंबा था। 21CM की ड्रेन पाइप एब्डोमिनल केविटी में डाली गई थी। वहीं दूसरी पाइप कैविटी के बाहर रखी गई, जो पेट में पानी (कंटेनर) वाली जगह से जुड़ी हुई थी।

26 अक्तूबर 2015 को वह अस्पताल पहुंचीं, ताकि टांके कटवाए जा सकें। डॉक्टर डाबर ने उन्हें CECT स्कैन करवाने के लिए कहा। स्कैनिंग के दौरान पेट में कोई बाहरी वस्तु नजर आई। उन्हें बताया गया कि एक बार फिर से उनकी सर्जरी करनी पड़ेगी और 28 अक्तूबर को भर्ती कर लिया गया। 29 अक्तूबर को सर्जरी करके वह वस्तु निकाली गई। ऊषा के मुताबिक, उन्हें बुरी हालत में ही 31 अक्तूबर को डिस्चार्ज कर दिया गया।केस की सुनवाई के दौरान उपभोक्ता अदालत में डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती। ड्रेन पाइप महिला की अपनी लापरवाही के चलते टूटी है। ऐसे में उन्हें तुरंत दूसरी सर्जरी की सलाह दी गई थी। हालांकि वह नहीं आई और खुद को ठीक बताया था। जब वह टांके खुलवाने आई को स्कैन की सलाह दी गई और दूसरी सर्जरी की गई। उस दौरान ड्रेन पाइप का टूटा टुकड़ा निकाला गया।


 

इससे पहले कॉलोनी नंबर 4(अब ध्वस्त) में रहने वाली सुमन के इलाज में जीएमएसएच 16 के डॉक्टरों ने लापरवाही बरती थी। उसे गलत खून चढ़ा दिया था। इससे उसके गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई थी और उसे सारी जिंदगी दवाईयों के सहारे रहना पड़ रहा है। मामला राज्य उपभोक्ता आयोग तक गया था। अदालती आदेशों के बावजूद सुमन को मुआवजा न मिलने पर जीएमएसएच 16 के खिलाफ अवमानना का केस भी चला था।4 लाख रुपए हर्जाना और 50 हजार रुपए अदालती खर्च के रुप में भरने को कहा गया था। जीएमएसएच समेत इसके तीन डॉक्टर्स कीर्ति सूद, नवदीप कौर और मनप्रीत कौर को यह आदेश दिए गए थे। इसके अलावा अस्पताल को सुमन के इलाज का खर्च भी उठाने को कहा गया था। यह मामला दिसंबर 2010 का है।