नक्सली हमले की आरोप में 5 साल से जेल में बंद 121 आदिवासियों को कोर्ट ने बरी किया

एनआईए की अदालत ने आरोपियों को सबूतों के आभाव में बरी किया है
 
इन सभी आदिवासियों के ऊपर साल 2017 के बुर्कापाल नक्सली हमले में नक्सलवादियों की मदद करने का आरोप लगा था. एनआईए की अदालत ने आरोपियों को सबूतों के आभाव में बरी किया है. ये सभी आदिवासी पिछले 5 साल से जेल में बंद थे. वहीं छत्तीसगढ़ के बुर्कापाल नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की जान चली गई थी

रायपुर - छतीसगढ़(Chhattisgarh) की एनआईए(National Investigation Agency की विशेष अदालत ने 15 जुलाई को यूएपीए(Unlawful Activity Prevention Act) के तहत गिरफ्तार किए गए व 121 आदिवासियों को रिहा किया है. इन सभी आदिवासियों के ऊपर साल 2017 के बुर्कापाल नक्सली हमले (Burkapal Naxalite Attack) में नक्सलवादियों की मदद करने का आरोप लगा था. एनआईए की अदालत ने आरोपियों को सबूतों के आभाव में बरी किया है. ये सभी आदिवासी(Tribals) पिछले 5 साल से जेल में बंद थे. वहीं छत्तीसगढ़ के बुर्कापाल नक्सली हमले में सीआरपीएफ(Central Reserve Police Force) के 25 जवानों की जान चली गई थी.

NIA Office

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस बात को सिद्ध नहीं किया जा सका है कि गिरफ्तारी के समय आरोपियों के पास से गोला बारूद मिला और नक्सली हमले के दौरान वो सब मौके पर मौजूद थे. कोर्ट ने कहा, "कोई भी सबूत और कोई भी बयान ये साबित करने में सफल नहीं रहा कि आरोपी किसी नक्सल विंग का हिस्सा थे. ये भी साबित नहीं हुआ कि पुलिस ने जो भी गोला-बारूद सीज किया है, वो आरोपियों के पास से मिला."

24 अप्रेल 2017 को छत्तीसगढ़ के बुर्कापाल में सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन(battalion) के जवानों पर नक्सली हमला हुआ था. हमले में 25 जवानों की मौत हो गई थी. इनमें इंस्पेक्टर रैंक(Inspector Rank) के एक अधिकारी भी शामिल था. हमला छत्तीसगढ़ के बक्सर में हुआ था जोकि दूसरा सबसे खतरनाक नक्सली हमला था. इससे पहले साल 2010 में दोरनापाल-जगरगोंडा सड़क निर्माण कार्य की चौकसी कर रहे जवानों पर हमला हुआ था. इस हमले में 76 जवानों की शहादत हुई थी.

बुर्कापाल हमले के कुछ दिनों के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने चिंतागुफा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था. पुलिस ने 6 गांवों बुर्कापाल, गोंडापल्ली, चिंतागुफा, तालमेटला, कोरईगुंडम, और तोंगुड़ा के 120 आदिवासी इलाके के ग्रामीणों को आरोपी बनाया. बाद में एक महिला को और आरोपी बनाया गया था. सभी 121 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर(FIR) में आईपीसी की धारा 147, 148, 120(B), 307, 308, 302, 396, 395 के साथ साथ आर्म्स एक्ट(Armes Act) की कई धाराओं को शामिल किया गया था. चार्जशीट में छत्तीसगढ़ पुलिस ने विशेष जन सुरक्षा अधिनियम(Public Safety Act 2005) व ग़ैरकानूनी गतिविधियां(रोकथाम) एक्ट(UAPA) को भी जोड़ा था.