environment Performance Index 2022: पर्यावरण रैंकिंग में भारत सबसे निचले पायदान पर, हालात चिंताजनक

पर्यावरण की गुणवत्ता को लेकर अमेरिका स्थित संस्थानों के एक इंडेक्स में भारत 180 देशों की सूची में सबसे निचले पायदान पर है।
 
इन मानकों को 11 श्रेणियों में बांटा गया था जिनमें जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण की स्थिति और ईकोसिस्टम की स्थिति शामिल है। कोलंबिया विश्वविद्यालय और अर्थ इंस्टिट्यूट ऑफ येल ने यह विश्लेषण किया है।

दिल्ली - दुनियाभर में पर्यावरण को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। हमारे आस पास की हवा, पानी व मिट्टी खराब होती जा रही है। बेतहाशा प्रदूषण के चलते इस बार गर्मी का पारा सबसे ऊपर रहा। बेमौसम बारिश व उसके चलते बाढ़ से समुद्र का स्तर बढ़ता जा रहा है। हिमालय श्रृंखला में बर्फ़ के पहाड़ पिंघल रहे हैं। अगर इसी तरह प्रकृति से हमारी इच्छाएं प्रबल होती रही तो वो दिन दूर नहीं जब ये पृथ्वी हमारे रहने लायक नही रहेगी।

पर्यावरण की गुणवत्ता को लेकर अमेरिका स्थित संस्थानों के एक इंडेक्स में भारत 180 देशों की सूची में सबसे निचले पायदान पर है। ‘येल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के ‘सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ द्वारा हाल में प्रकाशित 2022 पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) में डेनमार्क सबसे ऊपर है। जबकि दूसरे स्थान पर ब्रिटेन है वहीं फिनलैंड, माल्टा, स्वीडन क्रमशः तीसरे, चौथे व पांचवें स्थान पर हैं। इन देशों को हालिया वर्षों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए सर्वाधिक अंक मिले।

पर्यावरण पर सबसे अच्छे अंक डेनमार्क (77.9) को मिले हैं, जिसे सबसे सस्टेनेबल(Sustainable) देश बताया गया है। वहीं सयुंक्त राज्य अमेरिका को 43वां स्थान मिला है।

भारत की परफॉर्मेंस सबसे ख़राब

एनवायर्नमेंटल परफॉरमेंस इंडेक्स(ईपीआई) में भारत की रैंकिंग इस साल 180 आंकी गई है। भारत का स्कोर 18.9 है और पिछले एक दशक में यह 0.6 अंक गिर चुका है।

(ईपीआई) की रिपोर्ट में कहा गया, ‘तेजी से खतरनाक होती वायु गुणवत्ता और तेजी से बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ भारत पहली बार रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर आ गया है।’ चीन को 28.4 अंकों के साथ 161वां स्थान मिला हैं। रिसर्चर का दावा है कि उत्सर्जन वृद्धि दर को कम करने के हालिया वादे के बावजूद, चीन और भारत के वर्ष 2050 में ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े उत्सर्जक देश बनने का अनुमान है।

दक्षिण एशिया में भारत के पड़ोसियों का प्रदर्शन मिलाजुला रहा है। अफगानिस्तान सबसे ऊपर 81वें नंबर पर है। पाकिस्तान 176वें स्थान पर है, बांग्लादेश 177वें, भूटान 85वें और नेपाल को 162वां रैंक मिला है।

हर साल 80 लाख लोगों की मौत असमय

ईपीआई के लिए देशों को 40 मानकों पर आंका गया है। इन मानकों को 11 श्रेणियों में बांटा गया था जिनमें जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण की स्थिति और ईकोसिस्टम की स्थिति शामिल है। कोलंबिया विश्वविद्यालय और अर्थ इंस्टिट्यूट ऑफ येल ने यह विश्लेषण किया है। अपनी रिपोर्ट में ईपीआई ने कहा है कि दुनिया में 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत पर्यावरण प्रदूषण से असमय हो रही है। भारत, नेपाल और पाकिस्तान की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक बताई गई है।