बहादुरी की झूठी कहानी गढ़ कर फौजी ने मेडल जीता, फिर उसे 1.34 करोड़ रुपये में बेच दिया

2012 में ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स(Prince Charles) द्वारा उन्हें बकिंघम पैलेस में मेडल से नवाजे था
 
सार्जेंट ने इस विशिष्ठ मेडल के अलावा अन्यमेडल को भी ऑक्शन में 1 करोड़ 34 लाख रुपये से अधिक की राशि में बेच दिया. अब इस मामले में ब्रिटिश आर्मी ने जांच शुरू की है. इसके साथ ही इस मामले में स्पेशल फोर्स के दो सैनिकों के अलावा दर्जनों गवाह भी जांच के दायरे में हैं. जिनसे पूछताछ की जाएगी

नई दिल्ली - ब्रिटेन की रॉयल आर्मी में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक जवान ने अपनी बहादुरी की झूठी कहानी गढ़कर पहले सरकार से मेडल लिया और फिर उस मेडल को ऑक्शन में करीब 1.34 करोड़ रुपये में बेच दिया. जिसके बाद सैनिक की बहादुरी संदेह की दायरे में आ गई है और उसके खिलाफ मार्शल लॉ के तहत जांच कमेटी बनाई गई है. बताया जा रहा है कि उसे ब्रिटिश आर्मी का दूसरा सबसे बड़ा मेडल दिया गया था.

ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक ब्रिटिश सैनिक सार्जेंट डीकन कटरहैम को विशिष्ट वीरता क्रोस(Conspicuous Gallantry Cross) से नवाजा गया था जोकि ब्रिटेन की रॉयल आर्मी में विक्टोरिया क्रोस के बाद दूसरा बड़ा अवार्ड है. लेकिन अब सैनिक पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपनी बहादुरी की कहानी को गढ़ी. इसी कहानी के आधार पर उन्हें वीरता का अवार्ड Conspicuous Gallantry Cross मिल गया.

हैरानी की बात तो ये है कि सार्जेंट ने इस विशिष्ठ मेडल के अलावा अन्यमेडल को भी ऑक्शन में 1 करोड़ 34 लाख रुपये से अधिक की राशि में बेच दिया. अब इस मामले में ब्रिटिश आर्मी ने जांच शुरू की है. इसके साथ ही इस मामले में स्पेशल फोर्स के दो सैनिकों के अलावा दर्जनों गवाह भी जांच के दायरे में हैं. जिनसे पूछताछ की जाएगी.

बताया जा रहा है कि डीकन कटरहैम को यह अवार्ड इसलिए दिया गया था क्योंकि उन्होंने बताया था कि अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ ऑपेरशन मे उन्होंने साल 2011 में हेलमंड प्रांत(Helmand Province) में हैंड ग्रेनेड को पकड़कर अपने साथियों से दूर फेंक दिया था. उनके इस कृत्य को तब बहादुरी भरा कहा गया था. इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि उनकी वीरता की वजह से कई लोगों की जान बची थी.

हालांकि ब्रिटिश आर्मी द्वारा जोर देकर कहा जा रहा है कि 2012 में ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स(Prince Charles) द्वारा उन्हें बकिंघम पैलेस में मेडल से नवाजे जाने से पहले मामले की कड़ी जांच की गई थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब कटरहैम के साथी जवान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि तब ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था.

किसी ने भी उनको हैंड ग्रेनेड फेंकते हुए नहीं देखा था, जब हम वापस कैंप की ओर गए तो वहां एक हैंड ग्रेनेड गायब था. उन्होंने आशंका जताई कि यह कटरहैम का ही ग्रेनेड था. उन्होंने आगे बताया कि हम लोगों ने उनके इस किस्से को वीरता भरा कहा था लेकिन उन्होंने अपने फ़ायदे के लिए बेशकीमती मेडल बेच दिए.

बता दें कि 38 साल के कटरहैम(Sergeant Deacon Cutterham) इंग्लैंड के ब्रिस्‍टल के रहने वाले हैं. उन्‍होंने 16 साल की उम्र में आर्मी जॉइन की थी और राइफल्‍स रेजीमेंट में 19 साल तक अपनी सेवा दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक खुद कटरहैम ने ये भी माना है कि उनके इस बहादुरी भरे काम को किसी ने नहीं देखा था क्योंकि ग्रेनेड को देखते ही उन्होंने इस पर छलांग लगा दी थी.

साल 2020 में जब यह मामला पहली बार सामने आया था तब कटरहैम ने अपनी सफाई में कहा था कि जिन परिस्थितियों में घटनाएं हुईं थी वो उन सभी बातों पर कायम हैं. वहीं, इस मामले में सेना के प्रवक्ता ने कहा कि इस केस पर अभी इंवेस्टिगेशम चल रही है ऐसे में इस बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा