बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों को रिहा करने पर कांग्रेस ने पीएम मोदी को घेरा, कहा - यही है अमृत महोसत्व

आज हमने ये भी देखा कि जो रिहा हुए हैं , उनकी आरती उतारी जा रही है, उनका तिलक के साथ स्वागत किया जा रहा है
 
असली नरेंद्र मोदी कौन हैं? जो लाल किले की प्राचीर से झूठ परोसते हैं या फिर वो जो अपनी गुजरात सरकार से बलात्कार के दोषियों को रिहा करवाते हैं. यह देश जानना चाहता है.

नई दिल्ली - साल 2002 में हुए गुजरात दंगों(2002 Gujarat Riots) की पीडिता बिलकिस बानो(Bilkis Bano Gangrape) की गैंगरेप के सभी 11 दोषियों को रिहा करने पर गुजरात व केंद्र सरकार घिरती हुई नजर आ रही है. कांग्रेस व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दोषियों की रिहाई के फैसले का पूरजोर विरोध किया है. आज मंगलवार को नई दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवन खेड़ा ने कहा कि लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने बड़ी बड़ी बातें की. नारी सुरक्षा, नारी सम्मान, नारी शक्ति व अच्छे अच्छे शब्दों का इस्तेमाल किया.

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पवन खेड़ा ने कहा कि लेकिन इसके कुछ ही घंटों के बाद गुजरात सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया, जो अप्रत्याशित था. जो कभी नहीं हुआ. रेप के दोषियों को रिहा किया गया. उन्होंने कहा - क्या रेप उस कैटेगरी में नहीं आता, जिसमें उनको कड़ी से कड़ी सजा मिले? आज हमने ये भी देखा कि जो रिहा हुए हैं , उनकी आरती उतारी जा रही है, उनका तिलक के साथ स्वागत किया जा रहा है. क्या ये ही अमृत महोसत्व है?  

ये है प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में अंतर. उन्होंने कहा कि या तो प्रधानमंत्री की उनके अपने लोगों या उनकी अपनी सरकार ने सुननी बंद कर दी है या प्रधानमंत्री देश को कुछ और कहते हैं और फिर फोन उठाकर अपनी सरकार को कुछ और कहते हैं.

पवन खेड़ा ने कहा - असली नरेंद्र मोदी कौन हैं? जो लाल किले की प्राचीर से झूठ परोसते हैं या फिर वो जो अपनी गुजरात सरकार से बलात्कार के दोषियों को रिहा करवाते हैं. यह देश जानना चाहता है.

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बता दें कि साल 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद मोदी की सरकार में हिंदू-मुस्लिम दंगे(Gujrat Riots 2002) हुए थे. जिनमें 1 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों में ज्यादातर मुसलमान लोग थे. दंगों में सैंकड़ों महिलाओं के बलात्कार और हत्याएं हुई थीं. इनमें से 20 साल की बिलकिस बानो(Bilkis Bano Gang Rape) भी थी. जोकि 5 महीने की गर्भवती थीं. बिलकिस का गुजरात के अहमदाबाद के पास रणधी कूपर गांव में 11 लोगों ने गैंगरेप किया था और उनकी 3 साल की बेटी सालेह की भी पत्थर से सिर फोड़कर हत्या कर दी थी. इन दंगों में बिलकिस बानो की मां, छोटी बहन व अन्य रिश्तेदारों समेत कुल 14 लोगों की हत्या हुई थी.

21 जनवरी 2008 को बिलकिस बानो केस को अहमदाबाद से मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट(Special CBI Court) को ट्रांसफर किया गया था. 11 अभियुक्तों को बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप व परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 11 दोषियों की सजा को बरकरार रखा था. कुछ समय पहले 15 साल की सजा काटने के बाद दोषियों में से एक ने समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को सजा में छूट के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया था.

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कोर्ट के निर्देश पर गुजरात सरकार ने इस मामले में एक कमेटी का गठन किया. कमेटी ने कुछ महीने पहले मामले में सभी 11 दोषियों को रिहा करने के पक्ष में एकमत से फैसला लिया था. कमेटी ने राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई. जिसके बाद दोषियों को कल यानी 15 अगस्त को  राज्य सरकार ने रिहाई का आदेश दिया. जिन 11 दोषियों को समय से पहले रिहा किया गया है.

उनमें जसवंतभाई नई, गोविंदभाई नई, शैलेश भट्ट, राधेशम शाह, बिपिन चन्द्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोधिरया, बकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं. बता दें कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये मुआवजा, एक सरकारी नौकरी व घर देने का निर्देश दिया था.