शीशम के कारोबार में भारत को भारी नुकसान​​​, जानिए वजह 

भारत सरकार ने विश्वस्तरीय संगठन को सिफारिश की है कि शीशम की लकड़ी को तय की गई विशेष श्रेणी से बाहर किया जाए
 
विश्वस्तरीय स्तर पर देश में शीशम के प्रयोग पर लगी रोक से भारत सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। शीशम देश में सबसे अधिक दरवाजे, खिड़की और जरूरी फर्नीचर आदि के कारोबार में प्रयोग होता है। अब भारत सरकार ने विश्वस्तरीय संगठन को सिफारिश की है कि शीशम की लकड़ी को तय की गई विशेष श्रेणी से बाहर किया जाए।

दिल्ली.  विश्वस्तरीय स्तर पर देश में शीशम के प्रयोग पर लगी रोक से भारत सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। शीशम देश में सबसे अधिक दरवाजे, खिड़की और जरूरी फर्नीचर आदि के कारोबार में प्रयोग होता है। अब भारत सरकार ने विश्वस्तरीय संगठन को सिफारिश की है कि शीशम की लकड़ी को तय की गई विशेष श्रेणी से बाहर किया जाए।

भारत सरकार के रिकार्ड के मुताबिक यह रोक 2016 से है और इसके बाद से ही इस श्रेणी के कारोबार में देश को करीब एक हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। लकड़ी को विशेष श्रेणी में घोषित किए जाने की वजह से विभिन्न श्रेणी में होने वाले कारोबार में करीब पचास फीसद तक की गिरावट आई है। यह लकड़ी वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियां (सीआइटीईएस) में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कंवेंशन की सूची – दो के तहत सूचीबद्ध है। भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने लकड़ी को इस श्रेणी से बाहर करने की सिफारिश की है और इस श्रेणी को लागू करने के लिए अपना विरोध भी दर्ज कराया जा है।

जानकारी के मुताबिक यह बैठक सेंट्रल अमेरिका के पनामा शहर में नवम्बर 2022 में होनी संभावित है। बताया जा रहा है कि इस श्रेणी बदलाव का असर सीधेतौर पर इस कारोबार से जुड़े करीब पचास हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं। प्रस्ताव में बताया गया है कि श्रेणी में लकड़ी को राहत दिए जाने से ऐसे परिवारों को बड़ी राहत होगी और भारत के इस प्रस्ताव पर नेपाल से भी समर्थन किया जा रहा है।

इस श्रेणी में बदलाव करने के लिए भारत सरकार ने तर्क दिया है कि यह वनस्पति बहुत ही तेजी से विकसित होती है। भारत अपने दस्तावेज में बताया कि वन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में शीशम के पेड़ों की संख्या 7,57,62000 है। कुछ देशों में इस लकड़ी के उत्पाद की मांग बढ़ी है और इस वजह से इसका अवैध व्यापार भी बढ़ा है।

इसलिए शीशम को इस दायरे से बाहर करने की सिफारिश भेजी गई है।यह प्रजाति अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, इराक, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान समेत अफ्रीका और एशिया में पाई जाती है।