आखिर बीजेपी ने नीतीश कुमार को रोकने की कोशिश क्यों नहीं कीये है असली वजह

2013 में नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर नीतीश कुमार ने एक झटके में बीजेपी का साथ छोड़ दिया था.
 
नीतीश कुमार ने साल 2013 की तरह 2022 में भी एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़कर अपने धुर विरोधी लालू यादव का दामन थाम लिया है, लेकिन 2013 और 2022 में एक बड़ा अंतर है, जिसे समझने की जरूरत है.

नई दिल्ली – बिहार में एक बार फिर महागठबंधन सरकार बनने जा रही है. साल 2013 की तरह साल 2022 में भी एक बार फिर से नीतीश कुमार ने BJP का साथ छोड़ कर अपने धुर विरोधी लालू यादव का दामन थाम लिया है, लेकिन साल 2013 और साल 2022 में एक बड़ा अंतर है, जिसे समझने की जरूरत है. दरअसल 2013 में नीतीश ने एक झटके में बीजेपी का साथ छोड़ दिया था.

हालांकि इस बार सब कुछ साफ-साफ दिखने के बावजूद बीजेपी की तरफ से नीतीश को रोकने की कोशिश नहीं की गई. नीतीश कुमार क्या करने जा रहे हैं इस बात का अंदाजा राजनीतिक हल्कों में लंबे समय से लगाया जा रहा था. लेकिन जानकारी होने के बावजूद बीजेपी ने नीतीश को मनाने की कोशिश नही की. लेकिन बीजेपी ने ऐसा क्यों किया, जानिए

दरअसल, इस बार BJP ने कई वजहों से नीतीश कुमार को मनाने की कोशिश नहीं की. जिसमें सबसे बड़ी बात यह है कि BJP को यह लग रहा है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता बिहार में तेजी से कम हुई है. वहीं बीजेपी जानती थी कि अब नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका बढ़ाने का मन बना चुके हैं.

बीजेपी जानती थी कि नीतीश कुमार को बिहार में लालू यादव और दिल्ली में कांग्रेस की मदद की जरूरत पड़ेगी. इसलिए सटीक जानकारी होने के बावजूद BJP ने इस बार अपनी तरफ से नीतीश कुमार को मनाने की कोई कोशिश नहीं की. वहीं, साल 2013 और 2022 का अंतर अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि नीतीश कुमार की अहमियत बिहार की राजनीति में क्या और कितनी रह गई है ?

बता दें कि साल 2013 में नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर नीतीश कुमार ने एक झटके में BJP का साथ छोड़ दिया था लेकिन उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बजाय तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित BJP कोटे के सभी मंत्रियों को अपनी सरकार से बर्खास्त कर दिया था. उस समय BJP की तरफ से यह कहा गया था कि नीतीश कुमार ने जल्दबाजी में गठबंधन छोड़ने का फैसला किया.

फिलहाल बिहार BJP के एक बड़े नेता ने बताया कि 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजों से ही यह साबित हो गया था कि नीतीश कुमार की पकड़ बिहार के मतदाताओं पर ढ़ीली पड़ गई है और जनता को अब सिर्फ BJP से ही उम्मीद नजर आ रही है. BJP के एक नेता ने यह भी कहा कि, अपनी महत्वाकांक्षाओं, स्वार्थ और जिद के कारण नीतीश कुमार बिहार के हितों को नुकसान पहुंचा रहे थे.