High Jump: Tejaswin Shankar ने जीता ब्रॉन्ज मेडल, एथलेटिक्स में भारत को पहली सफलता

हाई जंप में भारत के नेशनल रिकॉर्ड रखने वाले तेजस्विन शंकर को शुरुआत में गेम्स के लिए भारतीय एथलेटिक्स टीम में जगह भी नहीं मिली थी जिसके बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

 

High Jump: Tejaswin Shankar ने जीता ब्रॉन्ज मेडल। एथलेटिक्स में भारत को पहली सफलता। तेजस्विन शंकर ने 2.22 मीटर की कूद के साथ मेडल जीता

वेटलिफ्टिंग, जूडो, टेबल टेनिस, लॉन बॉन, स्क्वॉश और बैडमिंटन के बाद भारत को एथलेटिक्स में भी सफलता मिल गई है. बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के स्टार एथलीट तेजस्विन शंकर ने पुरुषों की ऊंची कूद में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर एथलेटिक्स में भारत का खाता खोल दिया है. हाई जंप में भारत के नेशनल रिकॉर्ड रखने वाले तेजस्विन ने फाइनल में 2.22 मीटर की अपनी सबसे ऊंची कूद के साथ भारत के लिए इस इवेंट में पहला कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल जीतकर इतिहास भी रच दिया.

बुधवार 3 अगस्त को कॉमनवेल्थ गेम्स के मुख्य आयोजन स्थल एलेक्जेंडर स्टेडियम में हुए हाई जंप के इस फाइनल में तेजस्विन ने 2.1o की ऊंचाई के साथ सफल शुरुआत की. उन्होंने एक ही प्रयास में इसे पार कर लिया. इसके बाद 2.15, 2.19 और 2.22 मीटर के बार को भी तेजस्विन ने सिर्फ एक-एक प्रयास में ही पार कर लिया.

इस तरह टाई की स्थिति में कम विफल प्रयास वाले एथलीट को विजेता माना जाता है. तेजस्विन को इसका ही फायदा उठाया.मेडल पक्का होने पर तेजस्विन ने ऊंचाई को 2.25 से बढाकर 2.28 किया, लेकिन वह इसमें विफल रहे. इसके बावजूद उनका मेडल पक्का हो चुका था और उन्होंने ऐतिहासिक ब्रॉन्ज अपने नाम कर लिया.

तेजस्विन का ये मेडल न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि बेहद खास भी है, क्योंकि उन्हें पहले इन गेम्स के लिए चुना भी नहीं गया था. एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने CWG के लिए चुनी 36 सदस्यों वाली टीम में तेजस्विन को मौका नहीं दिया था, क्योंकि उन्होंने AFI के क्वालिफाइंग इवेंट में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन अमेरिका में कैंसस यूनिवर्सिटी के इवेंट में उन्होंने AFI द्वारा तय मार्क को हासिल किया था.

इसके बाद तेजस्विन ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से कोर्ट ने AFI और भारतीय ओलिंपिक संघ को निर्देश दिए कि उन्हें शामिल किया जाए. कोर्ट का आदेश मानने के बाद भी समस्या खत्म नहीं हुई थी क्योंकि गेम्स की आयोजन समिति ने पहली बार में IOA के आग्रह को ठुकरा दिया था. हालांकि, आखिरी वक्त में इसे स्वीकार कर लिया गया था. इसके बाद वीजा का मसला भी फंसा और आखिरकार 31 अगस्त के बाद ही वह बर्मिंघम रवाना हो सके.