नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस दे रही सफाई, जानिए क्या है पूरा मामला

सोमवार और मंगलवार को मिलाकर ईडी राहुल गांधी से करीब 22 घंटे पूछताछ कर चुकी है। पूछताछ के विरोध में कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन भी जारी है।
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राहुल गांधी
सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में आरोप लगाया था कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो एजेएल पर कांग्रेस का बकाया था।

नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ जारी है। प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम लगातार तीसरे दिन राहुल से सवाल-जवाब करेगी। सोमवार और मंगलवार को मिलाकर ईडी राहुल गांधी से करीब 22 घंटे पूछताछ कर चुकी है। पूछताछ के विरोध में कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन भी जारी है। पुलिस रोज कई नेताओं को हिरासत में ले रही है। पुलिस ने कांग्रेस मुख्यालय से लगे इलाके में धारा-144 भी लागू कर रखी है।

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला ?

देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब AJL के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए। भले ही AJL के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इस पर मालिकाना हक कभी भी उनका नहीं रहा। क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। साल 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब AJL ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी।

2010 में AJL के 1057 शेयरधारक थे। घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड यानी YIL को ट्रांसफर कर दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना उसी वर्ष यानी 2010 में हुई थी। इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए। कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई। शेष 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (दोनों का निधन हो चुका है) के पास थी।

लेकिन शेयर ट्रांसफर होते ही AJL के शेयर होल्डर्स सामने आ गए। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब YIL ने AJL का 'अधिग्रहण' किया था तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था। यही नहीं, शेयर ट्रांसफर करने से पहले शेयर होल्डर्स से सहमति भी नहीं ली गई। बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर AJL में शेयर था।

सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्ज कराया था मामला

2012 में भाजपा के नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में केस दर्ज कराया था। स्वामी ने आरोप लगाया था कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो एजेएल पर कांग्रेस का बकाया था। यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि AJL को दिया गया कर्ज "अवैध" था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि YIL ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए "गलत" तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को "अधिग्रहित" किया।

नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस की सफाई

इस मामले में कांग्रेस अपनी सफाई में कह रही है कि नेशनल हेराल्ड को राहुल गांधी और सोनिया गांधी की कंपनी यंग इंडियन ने सिर्फ इसलिए अपने नियंत्रण में लिया, ताकि कर्मचारियों को तनख़्वाह दी जा सके। रणदीप सुरजेवाला दावा करते हैं कि इस डील से राहुल और सोनिया ने एक पाई की भी कमाई नहीं की। कांग्रेस का कहना है कि मामले में जांच 7-8 साल से जारी है लेकिन एजेंसी को कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कंपनी मज़बूत करने के लिए शेयर में बदला गया था और लोन ख़त्म करने के लिए हिस्सेदारी शेयर में बदली थी। वहीं इक्विटी बेचने से जो पैसा मिला वो मज़दूरों को दिया था। पैसों का लेन-देन पूरे पारदर्शी तरीक़े से किया गया था। फिलहाल कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि देश के तमाम मुद्दों से ध्यान बंटाने के लिए ये समन भेजा गया है। ED,CBI और इन्कम टैक्स के जरिए विपक्ष को डराने की कोशिश की जा रही है।

राहुल गांधी हो सकते हैं गिरफ्तार?

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय ने कहा, ''नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों जमानत पर बाहर हैं। ऐसे में पूछताछ के दौरान अगर ED को लगता है कि राहुल जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं तो वह उन्हें हिरासत में ले सकती है। इसके बाद राहुल को कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां से तय होगा कि उन्हें ईडी की कस्टडी में भेजना है या न्यायिक हिरासत में।'

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